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- भारत मां के ऐसे रत्न,...

भारत का एक ऐसा दिव्य रत्न जो सदैव 'अटल' ही रहा, चाहे परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल। यह रत्न रूपी शख्सियत कोई अन्य नहीं, बल्कि भारत रत्न, देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी थे। सदैव अपने शब्दों की भांति स्पष्ट और सरल होने के बावजूद सदैव अटल रहे। अपने शब्दों व रचना से एक ऐसा सफर शुरू किया कि यह सफर निरंतर चलता ही रहा और आज भी अटल बिहारी वाजपेयी जी के शब्दों व उनकी कही बातों या भाषणों के रूप में यह सफर निरंतर गति पर अग्रसर है। आज वह अपनी कही बातों से जीवंत हंै। वाजपेयी जी अपने शब्दों की भांति ही सदैव स्पष्ट रहते थे, चाहे एक कवि के रूप में हो, पत्रकार के रूप में या रणनीतिकार हो या चाहे एक प्रधानमंत्री के रूप में ही क्यों न हो। स्पष्टता व ईमानदारी के प्रतीक थे अटल बिहारी वाजपेयी जी जिन्हें आज भी पूरा समाज उनके शब्दों व कविताओं के माध्यम से याद करता है। उनके संसद में दिए भाषणों को स्मरण किया करते हैं, जिन भाषणों मे उन्होंने संसद के सत्र में स्पष्ट कहा था कि 'सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए।' उनकी देश व लोगों के प्रति यह जिंदादिली ही उन्हें अविस्मरणीय अध्याय में स्थापित कर देती है। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को सारा देश 25 दिसंबर को जयंती पर नमन करता आया है।
