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अपनी नजरों में एक सफल पति हूं। बीवी की जबसे मुझसे शादी हुई है
अपनी नजरों में एक सफल पति हूं। बीवी की जबसे मुझसे शादी हुई है, तबसे बस उसे एक ही शिकायत रही है मुझसे कि मैंने उससे विवाह के बाद विवाह से पहले वाले प्रेम का इजहार नहीं किया। अब उससे कैसे कहूं कि हमारे जमाने में विवाह से पहले प्रेम नहीं हुआ करता था। जो करते थे वे काला मुंह करवाए गले में फटे जूतों की माला धारण कर गधे पर पीछे की ओर मुंह किए गालियां देती, अपने ऊपर थुकवाती भीड़ का प्रतिनिधित्व करते थे। तब विवाह के बाद ही थोड़ी बहुत प्रेम करने की कोशिश की जाती थी। ऐसे में विवाह के बाद भी आपस में प्रेम हो जाए तो वैवाहिक जीवन में मोक्ष मिला समझो। सफल गृहस्थी में हर चीज के लिए जगह होती है, पर प्रेम के इजहार के लिए कोई जगह नहीं होती। जिसे अपनी गृहस्थी तबाह करनी हो वह शादीशुदा होकर भी प्रेम का इजहार करे। गृहस्थी में दूसरे ही काम इतने होते हैं कि उनके तले दबकर स्वस्थ से स्वस्थ प्रेम भी चार दिनों में ही हाथ जोड़कर स्वर्ग सिधार जाता है। फिर भी अबके सोचा कि चलो, कुछ फ्री हूं तो क्यों न अबके बीवी की प्रेम के इजहार की इच्छा भी पूरी कर दी जाए।
बीवी का अविजित मन जीतने के लिए तब मैंने इधर-उधर कोई न कोई कट लगाकर उसकी बहुत जरूरत का गिफ्ट खरीद लिया ताकि उसके तानों-उलाहनों से मुझे उसके साथ के बचे जन्मों में मुक्ति मिले। मित्रो! मैं तो इस सोच का बंदा हूं कि बीवी को बेकार की चीजें गिफ्ट में देने का वैसे भी कोई फायदा नहीं होता। एक सफल पति को बीवी को वैसी ही चीजें गिफ्ट में देना श्रेष्ठ होता है जिनकी उसकी जिंदगी में कदम-कदम पर जरूरत हो। ये भी कोई बात हुई कि किसी ने किसी को कोई गिफ्ट दिया और वह शेल्फ पर रखा धूल फांकता रहे। मतलब, धूल झाड़ने को घर में एक और आइटम! शेल्फ पर सजने वाले धूल फांकते शो पीसों और दोस्तों से मुझे बहुत नफरत रही है। जब देखो, बस, अपने ऊपर उनकी धूल झाड़ते रहो कि जो घर में गलती से कोई आ ही जाए तो उसकी नजर उन धूल भरों पर न पड़े।
और मैं मन कड़ा कर बाजार से उसे उसकी जरूरत का गिफ्ट ले ही आया प्रेम का इजहार करने को। पर अब सवाल ये कि मुंह से कैसे कहूं कि आई लव यू! मेरे मुंह से आज तक उसके लिए और तो सब कुछ निकला, पर आई लव यू कभी नहीं निकला। फिर सोचा, जहर का घूंट पी आंखें बद कर कह दूंगा। उसके मन की बरसों पुरानी मुराद भी पूरी हो जाएगी कि मेरे मुंह से उसके लिए बरसों से रुका लव यू भी निकल जाएगा। भारतीय पंचांग की गणना के हिसाब से तब ज्यों ही विलायती आई लव यू कहने का शुभ मुहूर्त शुरू हुआ, तो मैंने दिल पर पत्थर रख उसकी बहुत जरूरत का गिफ्ट लिए उसे आई लव यू कहा ही कि वह मुझे परे धकलेती बोली, 'ये क्या कह रहे हो? ऐसा तो होता नहीं कि सुबह की बची दाल को शाम के तड़के के लिए प्याज ही काट दो। पता है न कि प्याज काटते-काटते मेरी आंखों से ही नहीं, दिमाग से भी आंसू निकलते हैं।'
अशोक गौतम
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Gulabi
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