सम्पादकीय

नाकामी में छिपी कामयाबी

Gulabi Jagat
10 Jan 2025 11:13 AM GMT
नाकामी में छिपी कामयाबी
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Vijay Garg: आज के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में ज्यादातर लोग एक काल्पनिक भय में जी रहे हैं। वे वर्तमान के सुख का उपभोग करने की अपेक्षा भविष्य को संवारने और उसमें उपजने वाली काल्पनिक चिंता के मायाजाल में उलझ रहे हैं, जबकि हमें यह तक नहीं पता कि आने वाला पल कैसा होगा । आपत्ति या विपत्ति का आना कोई निश्चित नहीं है । उसी तरह हो सकता है कि आने वाला पल बेहद अच्छा हो, लेकिन अपनी विफलता के मायावी भय में जीते हुए हम अपने वर्तमान को दांव पर लगा रहे हैं। अपनी जीवन शैली को बेहतर दिखाने के फेर में व्यर्थ ही चिंता की आग में जिए जा रहे हैं। यह दबाव समाज की अपेक्षा मन की उपज है जो वर्तमान को अशांत किए हुए है। कल क्या होगा और हमारी योजनाएं कहीं असफल न हो जाएं, बस इसी असुरक्षा के भाव में हम उलझे जा रहे हैं । क्या यह समझना सबसे महत्त्वपूर्ण काम रह गया है कि कल क्या होगा? ऐसा लगता है कि यह केवल हमारी कल्पना का हिस्सा है। अगर हम अपने मन को शांत रख सकें और अपनी क्षमताओं पर भरोसा करें, तो जीवन अधिक सरल और सुंदर हो सकता है।
हमें अपने बाल्यकाल से प्रेरणा लेते हुए जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करके देखना चाहिए। जिस तरह एक शिशु अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बार-बार गिरता पड़ता है, ठीक उसी तरह हमें अपनी असफलताओं से घबराना छोड़कर बार-बार प्रयत्न करना चाहिए। जबकि आज की भागमभाग से भरी जिंदगी में हो इससे विपरीत रहा है । जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारा सोचने का ढंग और मानसिकता बदलने लगती है और हम लगातार असफल होने के भय से कुंठित होने लगते हैं। हमारी मानसिकता आज इस दिशा में विकसित हो रही है कि हमें अपने उद्देश्य की प्राप्ति तो करनी है, लेकिन उस उद्देश्य प्राप्ति के मार्ग में मिलने वाली असफलताओं को हम स्वीकार नहीं कर पाते। जबकि असफलताएं भी उसी मार्ग का एक पड़ाव होती हैं। सफलता की इस नवीन परिभाषा, जिसमें असफलता की गुंजाइश का अभाव हो, इसमें उलझकर आत्मविश्वास में कमी आती है। इसलिए हमें बालमन से सीखने की जरूरत है कि निरंतर प्रयास ही सफल होने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, न कि डरकर और थक हारकर बैठ
जाने से उद्देश्य प्राप्ति हो सकती है । एक शिशु अपनी हर असफलता से सीखता है और बार-बार उठकर चलने का प्रयास करता रहता है, न कि गिरने के डर से हार जाता है ।
मानव इतिहास भी ऐसे अनेक महापुरुषों की असफलताओं से भरा पड़ा है जो बार - बार असफल होने पर अपने उद्देश्य की प्राप्ति शुमार की जंग में पराजित नहीं हुए और आखिरकार सफल होकर इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवा गए । थामस एडिसन अनेक बार असफल होने के बावजूद बल्ब के अपने आविष्कार से दुनिया को रोशन कर गए और छोटे-से गांव का साधारण सा दिखने वाला एक बालक अपने अथक प्रयासों से भारत के मिसाइल पुरुष एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से विख्यात हुआ। इस तरह सकारात्मक दृष्टिकोण और गिरने की प्रत्येक अवस्था से कुछ सीखने की आदत को अपने जीवन शैली में कर लिया जाए, तो निश्चित ही सफलता कदम चूम सकती है। सच यह है कि असफलता हमें सिखाती है कि सफलता का सही अर्थ क्या है। कामयाबी और असफलता उद्देश्य प्राप्ति के दो स्तंभ हैं।
अपने प्रयासों में नाकामयाब होना जीवन में कोशिशों को बेहतर बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। प्रयासों से भयभीत होने की अपेक्षा उन्हें जीवन में अपना गुरु मान लेना चाहिए जो हमें सीखने का अवसर तो प्रदान करते ही हैं, जीवन को धैर्यवान बनाने की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं । यह असफलता ही है जो हमें संघर्षों से भरे जीवन में हमारे प्रयासों का मूल्य बाताती है। सीखने या प्रयास करने के क्रम में मिली नाकामयाबी हमें जीवन में यह सीख देती है कि जीवन जीने के रास्ते में आने वाली कठिनाइयां जीवन की बाधा नहीं हैं, बल्कि ये एक सीढ़ी बनकर आगे बढ़ने में सहायक भी बनती हैं और इससे खुद पर विश्वास करने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए असफलता को नकारात्मक रूप में न लेकर सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए, ताकि हम मुसीबत में रुकने के बजाय अपनी रणनीति को जरूरत के मुताबिक परिवर्तित कर सकें और उद्देश्य प्राप्ति के अपने मार्ग का निर्धारण कर सकें। यह भी याद रखने की जरूरत है कि सफलता उन्हीं का स्वागत करती है, जो गिरकर फिर से उठते हैं और चलते रहते हैं।
विपरीत परिस्थितियों का एक आम खमियाजा यह होता है कि हम खुद को कमजोर महसूस करने लगते हैं। जबकि सच यह है कि अगर हम असफलता के सामने हार नहीं मानें तो सफलता हमारी राह देखती है। हर असफलता के साथ हम सफलता के एक कदम और करीब आ जाते हैं । यह एक स्थापित सत्य है कि हम मेहनत करेंगे तो हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यही कठिनाइयां हमें कामयाबी की उड़ान भरने के लिए पंख देती हैं। कहा भी कहा गया है कि हर असफलता यह साबित करती है कि हमने सफलता के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किया। सफलता की लोकप्रिय परिभाषा के प्रभाव में नाकामी से हार मानने के बजाय उससे कुछ सीखना चाहिए और अपने जीवन को मूल्यवान अनुभवों से समृद्ध करना चाहिए । जो अपना रास्ता खुद बनाता है वह सफलता के शीर्ष पर पहुंचता है। इसके विपरीत जो दूसरों की राह देखता है, सफलता भी दूर से उसकी ओर देखती है |
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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