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सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को बाहर लाने के लिए बस इतना ही छोटा धक्का चाहिए
डॉ. एम. चंद्र शेखर क्षेत्रीय भाषा में मौजूद 'एप्स' ने हमारे जीवन को कितना आसान बना दिया है। सोचिए उस एप को बनाने वाले डेवलपर अगर क्षेत्रीय भाषा में पढ़ने लगें तो अर्थव्यवस्था कहां से कहां पहुंच जाएगी? बीते साल लागू हुई नई शिक्षा प्रणाली (एनईपी) 2040 तक शिक्षा प्रणाली में पूरी तरह से सुधार की राह पर है।
विदेशों की तरह लचीला और खुला बनाते हुए एनईपी ने शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव किए हैं। अब तकनीकी शिक्षा को सामान्य उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ मिलाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जो पढ़ाई के साथ लगे हाथ चीजों का अनुभव भी कराए। यह सब एक तरह से बच्चों को इस क्षेत्र में अपना कॅरिअर बनाने का निर्णय लेने में मदद करेगा।
ऐसा कहा जा रहा था कि एनईपी सिर्फ अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के लिए फायदेमंद होगी। सवाल था कि भाषा अवरोध के कारण बाकी छात्र तकनीकी कोर्स में प्रवेश लेने से बचेंगे। पर ऐसा नहीं है। तकनीकी कोर्स के जरिए कॅरिअर बनाने वालों के लिए एनईपी उम्मीद की किरण है। शिक्षा नीति के अनुरूप देश के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज ने क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने की पेशकश की है।
इनमें आधे संस्थान हिंदी में पढ़ाने की पेशकश कर रहे हैं। इनमें चार यूपी के, दो राजस्थान, एक उत्तराखंड और एक मध्यप्रदेश से है। बाकी आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु क्रमश: तेलुगु, मराठी, बांग्ला और तमिल में पढ़ाने के लिए तैयार हैं। एआईसीटीई ने प्रभावी शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए, जहां तक संभव हो मातृभाषा में इंजीनियरिंग कोर्स मुहैया कराने का निर्णय लिया है।
ये सोच हाशिए पर खड़े लोगों के लिए मददगार होगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी। 2021 से 11 भाषाओं में (हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, बांग्ला, असमी, पंजाबी व उड़िया) इंजीनियरिंग कोर्स ऑफर किए जा रहे हैं। एआईसीटीई ने कम्प्यूटर साइंस, इसके बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल, मैकेनिकल और आईटी ब्रांच संचालित करने की अनुमति दी है।
ऐसे उदाहरण भी हो सकते हैं, जहां क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षण पाठ्यक्रम उपयोगी नहीं रहे हैं। हालांकि अब समय बदल गया है, इसलिए हमारी रुचियां और उपलब्ध संसाधन भी बेहतर हुए हैं। गैर-अंग्रेजी पृष्ठभूमि के छात्र बिना संकोच के मनपसंद कोर्स चुन सकेंगे। आपकी जिंदगी में ऐसे मौके भी आए होंगे, जहां किसी विशेष कॉन्सेप्ट को शिक्षकों ने मातृभाषा में बेहतर समझाया होगा। सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को बाहर लाने के लिए बस इतना ही छोटा धक्का चाहिए। टेक्निकल एजुकेशन हासिल करने की किसी की इच्छा को केवल इसलिए नहीं दबाया जा सकता कि उसे एक विदेश भाषा समझ नहीं आती।
बहरहाल इस बात से भी इंकार नहीं है कि अंग्रेजी हर बिजनेस की रीढ़ है। यहां आलेख के जरिए हम ये बताना चाहते हैं कि क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाना छात्रों के लिए कितना हितकारी है। आप और हम कभी न कभी ऐसे व्यक्तियों से टकराए होंगे, जो कठिन से कठिन पहेली या कोई कोड आसानी से सुलझा देते होंगे, लेकिन उसे किसी विशेष भाषा में कम्युनिकेट नहीं कर पाते होंगे। क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने की एनईपी की पहल से ऐसे व्यक्तियों के हुनर में वृद्धि होगी। साथ ही लोगों को रोजगार योग्य बनाकर बेरोजगारी को कुछ हद तक खत्म करने में मदद मिलेगी।
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