सम्पादकीय

साजिशों के तार

Subhi
19 Feb 2022 3:11 AM GMT
साजिशों के तार
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आतंकी मंसूबों पर पानी फेरने की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी साजिशें कम नहीं हो रहीं। दिल्ली के पुरानी सीमापुरी इलाके में भारी मात्रा में बरामद आइईडी विस्फोटक इसका ताजा प्रमाण है।

Written by जनसत्ता: आतंकी मंसूबों पर पानी फेरने की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी साजिशें कम नहीं हो रहीं। दिल्ली के पुरानी सीमापुरी इलाके में भारी मात्रा में बरामद आइईडी विस्फोटक इसका ताजा प्रमाण है। आइईडी एक ऐसा विस्फोटक होता है, जो आरडीएक्स, अमोनिया आदि के मेल से तैयार किया जाता है और इसके जरिए भयावह तबाही मचाई जा सकती है। सीमापुरी इलाके में बरामद इस विस्फोटक की मात्रा करीब साढ़े तीन किलो बताई जा रही है। यानी इतने से दिल्ली में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान किया जा सकता था। गनीमत है कि पुलिस को इसकी भनक लग गई और आतंकी अपनी साजिशों में कामयाब नहीं हो पाए।

मगर यह सवाल अपनी जगह है कि इतनी मात्रा में विस्फोटक यहां तक पहुंचा कैसे। इसी प्रकृति का विस्फोटक दिल्ली के गाजीपुर फूल मंडी में भी बरामद हुआ था। सीमापुरी इलाके में विस्फोटक रखने वाले किराए का मकान लेकर रह रहे थे और पुलिस तलाशी से पहले ही लापता हो गए। मकान मालिक ने उनकी पहचान का कोई प्रमाण-पत्र नहीं लिया था और न पुलिस में उनकी पहचान दर्ज कराने की कोशिश की थी। इसी प्रकृति का विस्फोटक पंजाब की लुधियाना अदालत में भी फटा था। माना जा रहा है कि यह विस्फोटक सीमा पार से लाया गया।

पाकिस्तान में तैयार होने वाली आतंकी साजिशें किसी से छिपी नहीं हैं। सेना और सीमा सुरक्षा बल लगातार सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर नजर बनाए रखते हैं, फिर भी कश्मीर घाटी में चकमा देकर घुसपैठिए इधर आ ही जाते हैं। फिर अब आतंकी संगठनों ने ड्रोन के जरिए विस्फोटक सामग्री, हथियार वगैरह भारतीय सीमा में पहुंचाने का नया तरीका तलाश लिया है। कुछ दिनों पहले ही पंजाब के सीमावर्ती इलाके में ड्रोन से गिराए गए हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए। यह सारा साजो-सामान भारत के विभिन्न इलाकों में सक्रिय आतंकी समूहों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है, ताकि वे अपनी साजिशों को अंजाम दे सकें।

दिल्ली देश की राजधानी होने की वजह से आतंकी संगठन हर समय यहां अस्थिरिता पैदा करने की ताक में रहते हैं। खासकर त्योहारों और राष्ट्रीय पर्वों पर उनकी सक्रियता कुछ बढ़ जाती है। दिल्ली कई दृष्टियों से संवेदनशील शहर है, यहां किसी तरह की आतंकी घटना को अंजाम देने का अर्थ है, न सिर्फ जान-माल को नुकसान पहुंचाना, बल्कि दुनिया भर में देश की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलना। अच्छी बात है कि एक बार फिर आतंकी मंसूबों पर पानी फिर गया।

आतंकवाद से पार पाने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती देश के विभिन्न हिस्सों में फैले अचीन्हे सुप्त कारकूनों यानी स्लिीपर सेल्स और उन माध्यमों की पहचान करना है, जिनके जरिए विस्फोटक सामग्री और हथियार पहुंचाए जाते हैं। हालांकि इसके लिए सुरक्षा बल अत्याधुनिक सूचना तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, पर आतंकी संगठन उन्हें चकमा देने में सफल हो जाते हैं। यही वजह है कि न सिर्फ घाटी में सुरक्षा बलों की हर गतिविधि पर नजर बनाए रख पाते हैं, बल्कि दूसरे शहरों में भी दहशत के ठिकाने तलाशते रहते हैं।

हालांकि सीमा पार चल रहे आतंकी शिविरों को निष्क्रिय करने में सेना ने काफी हद तक कामयाबी हासिल कर ली है, उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाने वालों की पहचान कर उन्हें सलाखों के पीछे डालने में भी सफलता पाई है, मगर अब भी अगर सीमा पार से भेजे गए विस्फोटक दिल्ली तक पहुंच जा रहे हैं, तो सुरक्षा इंतजामों को और चुस्त बनाने की जरूरत है।


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