- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- यूपी में हड़ताल पर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब किसी सरकार को असहमति ही ना पसंद हो, तो फिर हड़ताल या विरोध प्रदर्शनों की बात करना ही बेमतलब है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुजरे समय में किसी भी आंदोलन के प्रति जैसा रुख अपनाया, उसे देखते हुए उसके इस हालिया कदम पर किसी को हैरत नहीं हुई।
इसके बावजूद ये बात दर्ज की जानी चाहिए कि ये भी तरह की हड़ताल पर अधिसूचना के जरिए रोक लगा देना सरासर अलोकतांत्रिक है। हालांकि वर्ममान सरकार खुद को अलोकतांत्रिक या जन विरोधी या मजदूर विरोधी कहे जाने से परेशान नहीं होती, लेकिन जिन लोगों को इन शब्दों से परेशानी होती है, उन्हें अवश्य ही उप्र सरकार के ताजा कदम का विरोध करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शासकीय, अर्द्ध शासकीय और किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कर्मचारियों के हड़ताल करने पर छह माह तक पाबंदी लगा दी है। इस फैसले का एलान पिछले हफ्ते किया गया। राज्य सरकार ने इसके लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) की अवधि को बढ़ा दिया है। इस संबंध में एक अधिसूचना अतिरिक्त मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने जारी की।