सम्पादकीय

यूपी में हड़ताल पर रोक

Gulabi
2 Dec 2020 4:22 PM GMT
यूपी में हड़ताल पर रोक
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जब किसी सरकार को असहमति ही ना पसंद हो, तो फिर हड़ताल या विरोध प्रदर्शनों की बात करना ही बेमतलब है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब किसी सरकार को असहमति ही ना पसंद हो, तो फिर हड़ताल या विरोध प्रदर्शनों की बात करना ही बेमतलब है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुजरे समय में किसी भी आंदोलन के प्रति जैसा रुख अपनाया, उसे देखते हुए उसके इस हालिया कदम पर किसी को हैरत नहीं हुई।

इसके बावजूद ये बात दर्ज की जानी चाहिए कि ये भी तरह की हड़ताल पर अधिसूचना के जरिए रोक लगा देना सरासर अलोकतांत्रिक है। हालांकि वर्ममान सरकार खुद को अलोकतांत्रिक या जन विरोधी या मजदूर विरोधी कहे जाने से परेशान नहीं होती, लेकिन जिन लोगों को इन शब्दों से परेशानी होती है, उन्हें अवश्य ही उप्र सरकार के ताजा कदम का विरोध करना चाहिए।

उत्तर प्रदेश सरकार ने शासकीय, अर्द्ध शासकीय और किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कर्मचारियों के हड़ताल करने पर छह माह तक पाबंदी लगा दी है। इस फैसले का एलान पिछले हफ्ते किया गया। राज्य सरकार ने इसके लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) की अवधि को बढ़ा दिया है। इस संबंध में एक अधिसूचना अतिरिक्त मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने जारी की।


उन्होंने बताया कि सरकार ने उत्तर प्रदेश अति आवश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम- 1966 के अधीन अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए हड़ताल पर छह महीने की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में आवश्यक आदेश जारी कर दिए गए हैं। बताया गया है कि इस अधिसूचना के जारी होने की तारीख से अगले छह महीने की अवधि तक हड़ताल पर रोक रहेगी।
इसके दायरे में उत्तर प्रदेश राज्य से संबंधित गतिविधियों से जुड़े किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले निगम या स्थानीय प्राधिकरण में कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे।
यानी अब सरकारी कर्मचारी 25 मई 2021 तक हड़ताल पर नहीं जा पाएंगे। आवश्यक सेवा रख-रखाव अधिनियम (एस्मा) लागू होने पर हड़ताल को अवैध माना जाता है। इसमें विभिन्न आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी शामिल किए जाते हैं। जैसे डाक, टेलीग्राफ, रेलवे, हवाई अड्डे और बंदरगाह संचालन आदि क्षेत्रों के कर्मचारी।
एस्मा का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को एक साल तक की सजा या जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं। एस्मा लागू होने के बाद पुलिस को यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।


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