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- रेवड़ी पर सख्ती
Written by जनसत्ता; सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी परंपरा को खत्म करने के लिए सख्ती दिखाते हुए इसे गंभीर मामला बताया। उसने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार की जवाबदेही याद दिलाते हुए कहा कि ये दोनों पल्ला नहीं झाड़ सकते। मुफ्त का लालच देकर वोट बटोरने निकले राजनीतिक दल देश का खजाना खाली करने पर तुले हुए हैं।
अदालत ने रेवड़ी संस्कृति से निपटने के लिए विशेषज्ञ निकाय बनाने की वकालत की है। यह प्रवृत्ति आर्थिक विनाश की ओर अग्रसर करती है। राज्य के विकास के अनेक पहलू हैं। युवाओं को रोजगार, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण के लिए कटिबद्धता दोहराई जा सकती है। भारत इतना भी अमीर नहीं है कि बारहों महीने मुफ्त की रेवड़ी के बावजूद आर्थिक विकास कर सके।
इससे जनता और राज्य का बोझ बढ़ता है। मुफ्त में बांटने से बजट का प्रावधान बढ़ेगा। जनता से कर के रूप में बड़ी रकम उगाही कर उसे रेवड़ी की तरह बांटते हैं। यह देश के विकास में बहुत बड़ा रोड़ा है।
मुफ्त के वादों को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि इससे देश में आर्थिक संकट पैदा होगा। इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐतराज जताया है, क्योंकि उन्होंने दिल्ली और पंजाब में मुफ्त बांटा है। अब इस रेवड़ी परंपरा को गुजरात में थोपना चाहते हैं। यह आर्थिक पक्ष को कमजोर करने वाली प्रथा है। केजरीवाल के पास विकास का विजन नहीं है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि मुफ्त की सुविधा देने से नहीं, बल्कि दोस्तों को लाखों-करोड़ों का फायदा पहुंचाने से संकट आएगा। केजरीवाल ने सवाल किया कि चुनाव में मुफ्त देने पर रोक क्यों? पर केजरीवाल भूल गए हैं कि केंद्र सरकार मुफ्त में किसी को कुछ नही देती है।
केंद्र पर आरोप लगाने से पहले स्वयं को देखने की कोशिश करनी चाहिए। केजरीवाल ने पंजाब में महिलाओं को हर महीने एक हजार की राशि खातों में ट्रांसफर करने का वादा किया था। वह अधर में लटका हुआ है। रेवड़ी कल्चर देश के लिए अहितकारी है।