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देश के सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश को कुछ तथाकथित फ्रस्टेटिड यानी निराशावादी लोगों द्वारा अभद्र लफ्जों में सोशल मीडिया पर ट्रोल करने की बात सामने आई है, उसे लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ न्यायपालिका का तौहीन माना जा सकता है। जिस किसी ने भी कथित तौर से मुख्य न्यायाधीश के परिवार द्वारा गोद ली दो विकलांग बच्चियों को लेकर शर्मसार करने वाली टिप्पणी की है, उसको बख्शा नहीं जाना चाहिए। ऐसे लोगों की जितनी भी भत्र्सना की जाए वह कम होगी। सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह सोशल मीडिया पर अमानवीय और अभद्र टिप्पणियां करने वालों की पहचान कर उन पर कानूनी कार्रवाई करे।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal
Rani Sahu
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