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- सख्त कार्रवाई की...
राष्ट्र को शर्मिंदा करने वाली अराजकता की भेंट चढ़े किसान आंदोलन के उन गैर-जिम्मेदार नेताओं पर केवल एफआइआर दर्ज होना ही पर्याप्त नहीं। उन्हेंं गिरफ्तार कर ऐसे जतन भी किए जाने चाहिए, जिससे उन्हेंं उनके अपराध की सजा मिले और फिर कोई समूह-संगठन वैसा दुस्साहस न कर सके, जैसा गणतंत्र दिवस पर देखने को मिला। किसानों की आड़ में नेतागीरी करने वालों को बेनकाब करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि उनमें से ज्यादातर का खेती-किसानी से कोई लेना-देना नहीं। वे या तो आदतन आंदोलनबाज हैं अथवा किसानों के नाम पर अपनी राजनीतिक दुकान चलाने वाले स्वार्थी तत्व। वास्तव में इसी कारण किसान संगठनों की सरकार से लंबी बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। यह बातचीत तब नाकाम हुई, जब सरकार लगातार नरमी का परिचय दे रही थी और सुप्रीम कोर्ट भी किसान आंदोलन का संज्ञान ले रहा था। अड़ियल, अहंकारी और संदिग्ध इरादों वाले स्वयंभू किसान नेताओं के कारण ही दिल्ली में डेरा डाले किसान आंदोलन में अराजक और सरकार विरोधी तत्वों ने घुसपैठ की। तथाकथित किसान नेताओं ने पहले तो इन तत्वों को संरक्षण दिया और जब गणतंत्र दिवस पर उन्होंने दिल्ली में भीषण उत्पात मचाया तो वे उनसे पल्ला झाड़कर बच निकलने की ताक में हैं।