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- भारत-फ्रांस संबंधों...
भारत और फ्रांस के संबंध काफी समय से मैत्रीपूर्ण रहे हैं। भारत की आजादी के बाद से ही फ्रांस भारत के लिए यूरोपीय देशों में सबसे महत्वपूर्ण रहा है। दोनों देशों का इतिहास बहुत पुराना है। फ्रांस की भारत में उपस्थिति 18वीं सदी से है। जब फ्रांस के जनरल डुप्लिक्स ने डक्कन के मुर्जफा जंग और चंदा साहिब के साथ कर्नाटक की लड़ाई में राबर्ट क्लाइव की ब्रितानी सेना के खिलाफ जंग लड़ी। यह दोस्ती फ्रांस के लिए काम आई क्योंकि उन्हें इसके बदले में किले जैसी जगहें उपहार स्वरूप मिली थीं। फ्रांसीसी सेना के एडमिरल सुफफ्रे ने मैसूर का ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ दूसरी लड़ाई में साथ दिया था। इसके बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी का भारत पर कब्जा बढ़ता गया और फ्रांसीसी पुड्डुचेरी, करिकल, यनम और चंदन नगर तक सिमट गए। ब्रितानी साम्राज्य और फ्रांस की सेनाओं का पहले विश्व युद्ध और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारतीय-ब्रितानी सेना ने साथ दिया था और कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां उनके संग लड़ीं। इन लड़ाइयों में करीब 42 हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। यह तो थी इतिहास की बात। फ्रांस की रक्षा मंत्री फलोरेंस पार्ली ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इन मुलाकातों के दौरान वैश्विक चुनौतियों, द्विपक्षीय रक्षा सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और अन्य मुद्दों पर चर्चा की। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री ने बहु ध्रुवीय व्यवस्था बनाने और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में कानून के शासन की रक्षा के लिए भारत की भागीदारी की मांग की है। यह मांग अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। फ्लोरेंस पार्ली ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक के दौरान समुद्री सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास, राफेल जेट की समय पर डिलीवरी, आतंकवाद का मुकाबला और मेक इन इंडिया परियोजनाओं पर चर्चा की।इन मुलाकातों के अलावा एक थिंक टैंक के विचार-विमर्श सत्र के दौरान पार्ली ने महत्वपूर्ण बयान दिया की उनका देश भारत को जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त राफेल युद्धक विमान देने को तैयार है। कोविड-19 महामारी के बावजूद फ्रांस ने भारत को निर्धारित समय पर 33 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की है। भारत ने सितम्बर 2016 में फ्रांस के साथ करीब 59 हजार करोड़ के 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर समझौता किया था। फ्रांस भारत के साथ 36 और राफेल विमानो की खरीदारी के लिए वार्ता के लिए इच्छा जता रहा है। इसके अलावा पार्ली ने चीन के संबंध में जो बयान दिए हैं उससे स्पष्ट है कि भारत और फ्रांस के विचार समान हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्द प्रशांत तथा दक्षिण चीन सागर में चीन काफी आक्रामक होता जा रहा है तथा नौवहन की स्वतंत्रता एवं अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। पार्ली ने स्वीकार किया कि चीन व्यापार एवं वाणिज्यिक साझेदारी भी है लेकिन उसकी क्षेत्र में आक्रमकता बढ़ती जा रही है। भारत का स्टैंड यही रहा है कि प्रमुख समुद्री मार्ग मुक्त रहने चाहिए। फ्रांस की रक्षा मंत्री ने भी यही रुख दोहराया है कि वह हिन्द-प्रशांत को एक खुले और समावेशी क्षेत्र के तौर पर संरक्षित रखना चाहता है और यह किसी भी दबाव से मुक्त होना चाहिए।संपादकीय :फिटनेस के दम पर मिस यूनिवर्स खिताबयूपी में विकास परियोजनाएंदशक पुराने डीजल वाहनों पर रोकचुनावों का साफ सुथरा होनाआधार कार्ड और चुनाव सुधारलड़कियों की शादी की उम्रपार्ली के भारत दौरे से भारत-फ्रांस संबंधों को नया आयाम मिला है। 1980 के दशक की शुरूआत में फ्रांस ने भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की। यह कोशिश 1998 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति शिराक के भारतीय दौरे में दोनों देशों के बीच सामरिक समझौता संधि के हस्ताक्षर के रूप में रंग लाई। जनवरी 2008 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इसके बाद सितम्बर 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फ्रांस का दौरा किया। जिसमें दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए। राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने 2010 में भारत का दूसरा दौरा किया और 2013 में फ्रांस्वा ओलांद ने राष्ट्रपति के रूप में भारत का दौरा किया था। 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस दौरे के दौरान लड़ाकू हवाई जहाज की खरीद के सौदे पर हस्ताक्षर किए। इस समय भारत में करीब 1000 फ्रांसीसी कम्पनियां हैं जिनमें 3 लाख भारतीयों को रोजगार मिला हुआ है और इनका कुल व्यापार 20 बीलियन डॉलर है। फ्रांस भारत में नौवां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। फ्रांस में भी भारत की लगभग 130 कम्पनियां काम कर रही हैं। इनमें फार्मा, सॉफ्टवेयर, स्टील और प्लास्टिक जैसी कम्पनियां हैं। रक्षा क्षेत्र की बातें करें तो भारत के बीच 1982 में 36 मिराज-2000 लड़ाकू जहाज का सौदा हुआ था और भारत-पाक कारगिल युद्ध के दौरान यह विमान बेहद कारगर साबित हुए थे। फ्रांस ने स्कॉरपिन पनडुब्बियों की निर्माण तकनीक भी भारत काे हस्तांतरित की थी जिनका निर्माण मडगांव डॉकयार्ड में हो रहा है। भारतीय नौसेना ने पहली स्कॉरपिन पनडुब्बी क्लवरी शामिल की थी। भारत-फ्रांस युद्ध अभ्यास भी करते रहते हैं और इसके अलावा प्राकृतिक आपदा और मानवीय सहायता के समय भी दोनों देशों का सहयोग बढ़ रहा है। दोनों देशों में व्यापार विस्तार पर भी चर्चाएं जारी रहती हैं। बदलती परिस्थितियों में फ्रांस भारत का एक अच्छा मित्र साबित हुआ है।