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- सड़क की राजनीति: विपक्ष...

भूपेंद्र सिंह| इस पर हैरानी नहीं कि संसद फिर नहीं चली। ऐसा होने के आसार तभी उभर आए थे, जब राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं को नाश्ते पर बुलाया था। पता नहीं इस बैठक में क्या तय हुआ, लेकिन ऐसा लगता है कि उसमें संसद को न चलने देने पर ही सहमति बनी। इस बैठक के बाद राहुल गांधी ने अन्य विपक्षी नेताओं के साथ साइकिल मार्च निकाला, ताकि यह दिखा सकें कि पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम किस तरह एक समस्या बन गए हैं। बेशक इस साइकिल यात्रा ने टीवी कैमरों को मनचाहे दृश्य उपलब्ध कराए, लेकिन जब संसद चल रही हो तब सड़क पर प्रदर्शन करना उचित है या फिर उन मुद्दों पर सदन में बहस करना, जिन्हें ज्वलंत बताया जा रहा है? यह वह सवाल है, जिस पर विपक्ष को चिंतन-मनन करना चाहिए, क्योंकि अभी तो वह अपने आचरण से अवसर गंवाने का ही काम कर रहा है। यह विचित्र है कि विपक्ष एक ओर यह कह रहा है कि कोविड महामारी, कृषि कानूनों से लेकर महंगाई और पेगासस जासूसी कांड जैसे मसलों पर सरकार को घेरा जाएगा, लेकिन जब इसके लिए मौका आता है यानी संसद चलने की बारी आती है, तब वह ऐसा कुछ करता है, जिससे संसदीय कामकाज बाधित हो जाए।