सम्पादकीय

विचित्र व्याख्या

Subhi
24 Oct 2022 5:41 AM GMT
विचित्र व्याख्या
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फिर तो किसी भी मामले में उल्टी व्याख्या की जा सकती है। देश का आम आदमी भले ही कमरतोड़ महंगाई से जूझ रहा है, लेकिन टीवी चैनलों पर तो जैसे बहार आई हुई है। कहीं कोई दुख दर्द नहीं है। चारों और मनमर्जी का राज है।

Written by जनसत्ता; फिर तो किसी भी मामले में उल्टी व्याख्या की जा सकती है। देश का आम आदमी भले ही कमरतोड़ महंगाई से जूझ रहा है, लेकिन टीवी चैनलों पर तो जैसे बहार आई हुई है। कहीं कोई दुख दर्द नहीं है। चारों और मनमर्जी का राज है।

बाजारों में शानदार बिक्री की बात कही जा रही है। पैर रखने की जगह नहीं है। गाड़ियों की बुकिंग छह महीने अग्रिम चल रही है वगैरह। हम सब जानते हैं कि ये गाड़ियां, दोपहिया वाहन कितने प्रतिशत लोग खरीदते होंगे। अगर देश की दस फीसद आबादी खुशहाली में जी रही है तो बाकी नब्बे फीसद की चिंता कौन करेगा? वह किस हाल में जी रही है यह देखने की फुर्सत शायद किसी को नहीं है।

क्या यहां भी उल्टी व्याख्या ही की जाएगी? इसी नजरिए से अर्थव्यवस्था को देखने-समझने का हासिल आज यह हो चुका है कि देश की परिसंपत्तियां चंद लोगों के हाथ में सिमटती चली गई हैं। ज्यादातर लोग आज रोजी-रोटी तक की समस्या से दो-चार हो रहे हैं और देश के कुछ धनपतियों की संपत्ति में इजाफा हो रहा है और उनमें से कुछ तो दुनिया के सबसे बड़े धनी बनने की होड़ में हैं। सवाल है कि देश के आम आदमी को उससे क्या फायदा हो रहा है?

जब राष्ट्रसंघ में चीन के झिंजियांग नजरबंदी शिविर में 18 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को हिरासत में रख कर उनके साथ अमानवीय व्यवहार करने के खिलाफ मतदान करने का मौका आया तो भारत ने उस मतदान में खुद को अलग कर लिया था। यानी परोक्ष रूप से चीन के साथ खड़ा हुआ। मगर क्या चीन उसके बदले में भारत का साथ किसी भी मामले में राष्ट्र संघ हो या कोई और विश्व मंच पर साथ दे रहा है? इसका उत्तर है नहीं।

भारत अमेरिका समेत विभिन्न देश के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र में कई पाकिस्तानी चरमपंथियों एवं उग्रवादी संगठनों को काली सूची में डालने के लिए प्रस्ताव लेकर आता है उसे चीन हमेशा से वीटो करके खारिज करवा देता है। चीन ने पिछले छह महीनों में पांच खूंखार पाकिस्तानी 'चरमपंथियों' को बचाया है। हाल ही में उसने हाफिज तल्हा सईद को बचाया।

उससे पहले साजिद मीर, अब्दुल रउफ, शाहिद महमूद एवं अब्दुल रहमान मक्की को भी चीन का सहारा मिला था। क्यों भारत चीन के साथ इतना नरमी बरतता है? कब यह बात समझ में आएगी कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन चीन है!


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