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- संघर्ष की कहानी:...
मुंबई फिल्म उद्योग को आकार देने वाली किसी एक बुनियादी चीज पर इतिहासकारों की सहमति है, तो वह है इसकी सघन अनिश्चितता। अब व्यावसायिक रूप से सफल और वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त बॉलीवुड ने अपना पहला कदम तब उठाया था, जब भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था। तब कोई भी वित्तीय संस्थान इस अनिश्चित नए उद्योग में हाथ नहीं डालना चाहता था और बहुत कम लोग एक ऐसे क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा को जोखिम में डालने को तैयार थे, जिसे वर्जित माना जाता था। फिर भी, 1930 के दशक में बॉम्बे गतिशील फिल्म उद्योग का केंद्र बन गया। यहां की सिने-पारिस्थितिकी की जड़ें विभिन्न दिशाओं में फैली हुई थी। 1931 से 1945 के दौरान यहां दो हजार से अधिक बोलती फिल्में बनाई गईं और दूसरे विश्वयुद्ध के उस दौर में इस फिल्म उद्योग ने चालीस हजार लोगों को रोजगार दिया। और ऐसे ही दौर में एक नया ऐतिसाहिक शख्स दृश्य में आया और वह था, 'स्ट्रगलर'।