सम्पादकीय

भावी दुर्दशा की कहानी

Gulabi
9 Sep 2021 5:56 AM GMT
भावी दुर्दशा की कहानी
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भारत में रोज ही ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं, जो देश में फैल रही दुर्दशा का संकेत होती हैं

By NI एडिटोरियल.

अगर देश के बच्चों की पढ़ाई और सेहत खराब हो रही हो, तो जाहिर है, उसका असर सिर्फ आज नहीं, बल्कि आने वाले कई दशकों तक पड़ेगा। इसीलिए एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जिन लोगों को सचमुच देश की चिंता है, उन्हें जरूर इस पर गौर करना चाहिए।

भारत में रोज ही ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं, जो देश में फैल रही दुर्दशा का संकेत होती हैं। इनमें कुछ खबरें ऐसी भी हैं, जो सिर्फ वर्तमान ही नहीं, बल्कि भविष्य को भी चिंताजनक बना रही हैं। अगर देश के बच्चों की पढ़ाई और सेहत खराब हो रही हो, तो जाहिर है, उसका असर सिर्फ आज नहीं, बल्कि आने वाले कई दशकों तक पड़ेगा। इसीलिए एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। देश की बागडोर जिन लोगों के हाथ में भले यह उनके लिए फिक्र की बात ना हो, लेकिन जिन लोगों को सचमुच देश की चिंता है, उन्हें जरूर इस पर गौर करना चाहिए। इस सर्वेक्षण के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों के बंद होने का बच्चों पर बहुत खराब असर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में यह असर और ज्यादा गंभीर है। वहां सिर्फ आठ प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ पा रहे हैं। इन इलाकों में 37 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई तो ठप ही हो गई है। ये सर्वे 15 राज्यों में हुआ। यानी एक बिगड़ती स्थिति एक तरह से देशव्यापी स्थिति है।
सरवे में यह भी पाया गया कि इन इलाकों में भी जो परिवार अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे थे, उनमें से एक चौथाई से भी ज्यादा परिवारों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में डाल दिया। ऐसा उन्हें या तो पैसों की दिक्कत की वजह से करना पड़ा या ऑनलाइन शिक्षा ना करा पाने की वजह से। ऑनलाइन शिक्षा का दायरा इतना सीमित होने की मुख्य वजह कई परिवारों में स्मार्टफोन का ना होना है। ग्रामीण इलाकों में तो पाया गया कि करीब 50 प्रतिशत परिवारों में स्मार्टफोन नहीं थे। जहां स्मार्टफोन थे भी, उन ग्रामीण इलाकों में भी सिर्फ 15 प्रतिशत बच्चे नियमित ऑनलाइन पढ़ाई कर पाए, क्योंकि उन फोनों का इस्तेमाल घर के बड़े करते हैं। शहरी इलाकों में स्थिति चिंताजनक ही है। यानी कुल मिला कर इस स्थिति का असर बच्चों की लिखने और पढ़ने की क्षमता पर भी पड़ा है। आम तौर पर हर जगह अभिभावकों को लगता है कि इस अवधि में उनके बच्चों की लिखने और पढ़ने की क्षमता में गिरावट आई है। अब मुद्दा यह है कि जो पीढ़ी अब तैयार हो रही है, वह किस तरह के भारत का निर्माण करेगी?
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