सम्पादकीय

पहाड़ की परंपराओं की तहें खोलता कहानी संग्रह

Gulabi
12 Sep 2021 5:25 AM GMT
पहाड़ की परंपराओं की तहें खोलता कहानी संग्रह
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अन्य महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर भी संग्रह की कहानियां अपनी बेबाक राय सिद्ध करने में कामयाब होती हैं

पुस्तक समीक्षा:

पहाड़ की परंपराओं की तहें खोलता कहानी संग्रह शिमला से संबद्ध हिमाचल की प्रसिद्ध साहित्यकार डा. देवकन्या ठाकुर का कहानी संग्रह 'मोहराÓ पहाड़ में प्रचलित परंपराओं की तहें खोलता हुआ उनके भीतर की एक अलग ही दुनिया से अवगत कराता है। बाहर से बिल्कुल सभ्य और अभ्युचित से दिखने वाले पहाड़ी समाज की गांठें खोलती कहानियां पाठक के भीतर एक गूंज की तरह ठहर जाती हैं। सभी कहानियां शिल्प, भाषा-शैली और तेवर की दृष्टि से मंझी हुई और सधी हुई हैं। इन कहानियों में लेखिका ने यथार्थ और कलात्मक प्रयोग को नई ऊंचाई दी है। संग्रह की कहानियां जहां स्त्री विमर्श पर मुखर होकर परंपराओं और संस्कृतियों से जुड़ी पहाड़ी स्त्री के संघर्ष और मन:स्थितियों को उकेरने में सफल होती हैं, वहीं अन्य महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर भी संग्रह की कहानियां अपनी बेबाक राय सिद्ध करने में कामयाब होती हैं।

प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित कहानी संग्रह 'मोहरा में कुल दस कहानियां हैं। शीर्षक कहानी 'मोहरा हिमाचल प्रदेश में देवरथों में लगाए जाने वाले देवताओं के मुख से संबंधित है, जिन्हें हिमाचल की लोकभाषा में मोहरा कहा जाता है। यह उसके बारे में प्रचलित लोकविश्वासों और सामजिक संरचना की कहानी है। 'मोहरा और 'छलीट कहानियां देव-परंपराओं में व्याप्त जातिवाद और बलिप्रथा पर सवाल उठाती हैं। इनका सार है कि व्यक्ति को अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए स्वयं उठकर आगे आना होगा। समाज में बदलाव लाने के लिए ज़रूरी नहीं कि हर बार झंडा ही उठाया जाए। व्यक्ति को स्वयं अपने हक के लिए उठना चाहिए जो उसके हाथ में है, जो वह स्वयं कर सकता है और स्वयं तथा आने वाली पीढ़ी के लिए वह एक नया मार्ग प्रशस्त कर सकता है। हिमाचल के अनछुए विषयों पर डा. देवकन्या ठाकुर ने अपनी कलम चलाई है और उनकी विषय की समझ और कहानियों की बुनावट अद्वितीय है। उनका यह कहानी संग्रह हिमाचल की कला, संस्कृति, बोली, रीति-रिवाजों और उनके सौंदर्य बोध का ज्ञान भी कराता है और उनकी गहन जांच-पड़ताल भी करता है। कहानी संग्रह का मूल्य 300 रुपए है। आशा है कि पाठकों को यह कहानी संग्रह पसंद आएगा।
-दिव्या कुमारी, शिमला
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