सम्पादकीय

रोकिए नरसंहार

Rani Sahu
6 April 2022 4:45 PM GMT
रोकिए नरसंहार
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युद्ध से त्रासद खबरों का आना बेरोक जारी है

युद्ध से त्रासद खबरों का आना बेरोक जारी है। अमानवीयता की बदतर तस्वीरें सामने आने लगी हैं। यूक्रेन के बुका में जैसे नरसंहार के संकेत मिले हैं, उससे पूरी दुनिया में चिंता की लहर दौड़ गई है। भारत ने पहली बार पूरी दृढ़ता से हिंसा की निंदा की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को यूक्रेन की स्थिति पर लोकसभा में बताया कि भारत इस संघर्ष के पूरी तरह खिलाफ है और तत्काल हिंसा खत्म करने के पक्ष में है। अब तक भारत से यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा था कि वह किसके साथ है, इस सवाल का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने यदि कोई पक्ष चुना है, तो वह शांति का पक्ष है। लोकसभा में जयशंकर ने कहा कि भारत का रुख राष्ट्रीय विश्वास एवं मूल्यों, राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रीय रणनीति के तहत निर्देशित है। हिंसा व बेगुनाहों के जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकल सकता। संवाद और राजनय ही एकमात्र उपाय है। भारत का यह रुख स्वागतयोग्य है। युद्ध के विरुद्ध और शांति के पक्ष में भारतीय नेताओं को लगातार अपने विचार दुनिया के सामने रखने पड़ेंगे। दुनिया में कतई यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि भारत युद्ध या हमले के पक्ष में है।

बुका में अगर नरसंहार की खबरें सही हैं, तो इसकी स्वतंत्र जांच के पक्ष में भारत खड़ा हो गया है। यह भारत के रुख में एक बड़ा बदलाव है। हालांकि, हमें सावधान रहना चाहिए, क्योंकि असत्य या दुष्प्रचार के सहारे भी निर्मम युद्ध या हमले हम देख चुके हैं। युद्ध में शामिल ताकतें अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। अत: युद्ध क्षेत्र से आने वाली खबरों को अच्छी तरह से परखते हुए ही चलना चाहिए। अगर भारत युद्ध को रोकने की स्थिति में है, तो उसे अपनी भूमिका से हिचकना नहीं चाहिए। युद्ध के समय सच को सच और झूठ को झूठ कहने और मानवीयता का पक्ष मजबूत करने का काम भारत सरकार बेहतर कर सकती है। रूस ने अगर आम लोगों को जान-बूझकर निशाना बनाना शुरू कर दिया है, तो उसकी निंदा जरूर होनी चाहिए। किसी भी युद्ध को जल्दी जीतने के लिए निर्मम सैन्य कमांडर यह रणनीति अपनाते हैं, लेकिन यह कभी नहीं भूलना चाहिए, युद्ध के समय निहत्थों को निशाना बनाना मूलत: कायरता है। ऐसी निंदनीय कायरता से कथित शक्तिशाली देशों को बाज आना चाहिए।
भारतीय विदेश मंत्री ने बिल्कुल सही कहा है कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों, सभी की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। चालीस दिन से युद्ध जारी है, किसको क्या हासिल हुआ है? सोच लेना चाहिए। रूस अपने घाव छिपा रहा है, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि इन घावों को ठीक करने में रूस को कई दशक लग जाएं। यह हमारी दुनिया का दुर्भाग्य है कि इराक, अफगानिस्तान से सबक सीखने के बाद जब अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप से बच रहा है, तब यूक्रेन में रूसी दुस्साहस ने पूरी दुनिया को विचलित कर रखा है। यूक्रेन से बच्चे भाग रहे हैं, लोग भाग रहे हैं, दुनिया का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो रहा है। तबाही रोकने की हरसंभव कोशिश भारत को करनी चाहिए। क्या रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता संभव है? क्या भारत दोनों देशों को एक मंच पर ला सकता है? अगर इस दिशा में भारत को कामयाबी मिलती है, तो यह खुद भारत के हित में होगा। वरना गौर से गिन लीजिए, एक-एक कर अनेक देशों की स्थिति बिगड़ने लगी है।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

Rani Sahu

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