सम्पादकीय

कैग पर भी लगाम?

Triveni
10 March 2021 12:45 AM GMT
कैग पर भी लगाम?
x
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2015 में 55 रिपोर्टों पेश की थीं। 2020 में ये संख्या घट कर 14 रह गई।

जनता से रिश्ता वेबडेसक | भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2015 में 55 रिपोर्टों पेश की थीं। 2020 में ये संख्या घट कर 14 रह गई। असल में नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में रिपोर्टों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। गौरतलब है कि ये सरकार सत्ता में आई, तब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैग की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। कहा था कि ये एजेंसी सरकारी योजनाओं पर अमल में बाधक बन जाती है। तो साफ है कि जैसाकि अन्य कई मामलों में हुआ है, धीरे- धीरे सरकार ने इस एजेंसी पर भी लगाम लगा दी है। ऐसा करने के पीछे मंशा साफ है। आखिर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को यह याद होगा कि कैसे सीएजी की बोफोर्स घोटाले में आई रिपोर्ट राजीव गांधी सरकार के पतन का कारण बनी। फिर इसी संस्था की 2-जी स्पेक्ट्रम और कोयला खदान आवंटन में आई रिपोर्टों ने मनमोहन सिंह सरकार की साख में पलीता लगा दिया। तो फॉर्मूला साफ है- ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी। ना जांच होगी, ना रिपोर्ट आएगी और ना कोई मामला बनेगा। मोदी सरकार किस तरह कैग को लेकर असहज रही है कि इसकी एक और मिसाल सामने आई है।

एक वेबसाइट पर छपी खास रिपोर्ट के मुताबिक सरकार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की उस रिपोर्ट में संशोधन कराने की कोशिश कर रही है, जिसमें कैग ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को फटकार लगाई है। कैग ने इस रिपोर्ट में कहा था कि हरियाणा के कैथल स्थित अडानी साइलो में स्वीकृत मात्रा में अनाज ना रखने के चलते करदाताओं का 6.49 करोड़ रुपये का बेजा खर्च हुआ। अब उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कैग को पत्र लिखकर मांग की है कि इस पैराग्राफ को रिपोर्ट से हटाया जाना चाहिए। इसी मंत्रालय के अधीन एफसीआई आता है। मंत्रालय ने दावा किया है कि जिस आधार पर इस अतिरिक्त खर्च का आकलन किया गया है, वो सही नहीं है। लेकिन कैग ने इन दलीलों को खारिज करते हुए रिपोर्ट बदलने से इनकार कर दिया है। मामला यह है कि भारतीय खाद्य निगम के पास अनाज रखने के लिए एफसीआई के पास जगह नहीं बचती, तो अन्य गोदाम में गेहूं रखा जाता है। उसके बदले में एफसीआई भुगतान करता है। ये भुगतान अडानी की कंपनी को हुआ। ये संवेदनशील मामला है। जाहिर है, कैग का ये बात सामने लाना सरकार को पसंद नहीं आया।


Next Story