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इस बार की बरसात ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है। बरसात का होना प्रकृति का नियम है और सभी ऋतुएं इसी नियम के तहत आती और जाती हैं, लेकिन इस बार की बरसात ने बहुत अधिक कहर बरपाया
इस बार की बरसात ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है। बरसात का होना प्रकृति का नियम है और सभी ऋतुएं इसी नियम के तहत आती और जाती हैं, लेकिन इस बार की बरसात ने बहुत अधिक कहर बरपाया। अब हमें यह देखना होगा कि कहीं हम सब लोग प्रकृति के साथ अधिक छेड़छाड़ तो नहीं कर रहे हैं। हमारा देश भारत विकासशील देश है और इस देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ विकास की बहुत आवश्यकता है, लेकिन विकास वैज्ञानिक ढंग से किया जाए ताकि प्रकृति का कम से कम नुकसान हो। यह वैज्ञानिकों ने भी माना है कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में सड़कें बहुत अधिक चौड़ी करने के बजाय कम चौड़ी सडक़ें एक की जगह दो कुछ दूरी रखकर बना दी जाएं ताकि भूस्खलन कम से कम हो। इसी तरह पेड़ों का अंधाधुंध कटान भी अत्यधिक बाढ़ और भूस्खलन का मुख्य कारण है।
-नरेंद्र कुमार शर्मा, भुजड़ू, मंडी
By: divyahimachal

Rani Sahu
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