सम्पादकीय

फिर भी हो बचाव: महामारी के खिलाफ स्थायी तंत्र जरूरी

Gulabi
25 Nov 2020 4:15 PM GMT
फिर भी हो बचाव:  महामारी के खिलाफ स्थायी तंत्र जरूरी
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भारतीय नागरिकों को बेहतर वैक्सीन देने के प्रयास जारी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना संकट की नयी लहर से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में संक्रमण से बचाव के लिये वैक्सीनेशन कार्यक्रम में राज्यों की बड़ी भूमिका को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगर रणनीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों को बेहतर वैक्सीन देने के प्रयास हैं।

वैक्सीन की पूरी तैयारी है। भारत की वैक्सीन भी उम्मीदों पर खरी उतरेगी। 'बचाव जरूरी' के नारे के साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोविड के संक्रमण का मुकाबला बेहतर ढंग से किया है, जिसके चलते दुनिया में हमारे देश में ठीक होने वाले लोगों का प्रतिशत ज्यादा है और मृत्यु दर कम है। उन्होंने चेताया कि लापरवाही नहीं होनी चाहिए ताकि यह न कहना पड़े कि हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था। निस्संदेह, अभी कोरोना संकट बरकरार है और कुल 91 लाख लोगों का संक्रमित होना और एक लाख चौंतीस हजार लोगों का मरना बताता है कि इसे अब भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार उछाल ने देश की चिंता बढ़ाई है। दरअसल, त्योहारों की शृंखला, बिहार समेत कुछ राज्यों में चुनाव-उपचुनाव और सर्दी के मौसम के चलते संक्रमितों की संख्या में अचानक तेजी आई है। चुनावी रैलियों में उमड़ी भीड़ और बाजार में खरीदारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के प्रति लापरवाही संकेत दे रही थी कि आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। निस्संदेह, ठंड का मौसम भी संक्रमण बढ़ने की एक बड़ी वजह है।

वैसे भी सामान्य दिनों में सर्दियों की दस्तक के साथ खांसी-जुकाम के मामलों में तेजी देखी जाती रही है। जहां कुछ राज्य इसे दूसरी लहर बता रहे हैं, वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल नवंबर में तीसरी लहर आने की बात कर रहे हैं। वैसे देश के विभिन्न भागों में संक्रमण का व्यवहार दूसरे राज्य से भिन्न ही है लेकिन यह तय है कि संक्रमण के मूल में लोगों की लापरवाही ही है। बहरहाल, अब देश में भले ही संक्रमण में तेजी आई है लेकिन इसको लेकर पहले जैसा खौफ नहीं है। देश की बड़ी आबादी कोरोना को लेकर गंभीर हुई है लेकिन लापरवाही बरतने वालों का प्रतिशत भी कम नहीं है।

यही वजह है कि मुख्यमंत्रियों की बैठक में आरटी-पीसीआर टेस्टिंग पर जोर दिया गया। राज्यों में नाइट कर्फ्यू, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में कोविड वैक्सीन वितरण के लिये टास्क फोर्स का गठन कर लिया गया है वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से एक हजार आईसीयू बैड की मांग की। साथ ही उन्होंने कोविड संक्रमण के विस्तार में प्रदूषण की भूमिका का भी जिक्र किया, जो हमारी चिंता का विषय होना चाहिए।

बहरहाल, केंद्र सरकार की कोशिश है कि संक्रमण का प्रतिशत पांच से कम रहे तथा मृत्यु दर को एक प्रतिशत से कम रखा जाये। बैठक में कहा गया कि देश में मेडिकल कालेजों और अस्पतालों को आक्सीजन तैयार करने में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास तेज किये गये हैं ताकि भविष्य में किसी ऐसी चुनौती का डटकर मुकाबला किया जा सके। इसी कड़ी में देश में 160 से अधिक आक्सीजन संयंत्र स्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं।

निस्संदेह भारत के पास वैक्सीन को लेकर दुनिया के तमाम बड़े देशों के मुकाबले ज्यादा अनुभव है लेकिन तेजी के साथ सुरक्षा के मानकों पर ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि वैक्सीन की सुरक्षित आपूर्ति के लिये कोल्ड स्टोरेज क्षमता को यथाशीघ्र बढ़ाया जाये।

कुल मिलाकर यह कार्यक्रम राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के साथ चलाने की जरूरत है। जिसे सुनियोजित ढंग से चलाया जाये तथा  इसमें केंद्र व राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित हो। साथ ही नागरिकों को भी इसके लिये जागरूक करने की जरूरत है। 

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