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- फिर भी राम मौजूद हैं
आज दीपावली का दिन है-दीपोत्सव और उजालों का त्योहार। आज भारतीय समाज का सबसे अहम और जगमगाता पर्व है। अमीर की अट्टालिकाओं में उजाला है, तो गरीब की झोंपड़ी में भी दीया उजाले ही बिखेर रहा है। एहसास और सोच का अंतर है। बड़े शहर प्रकाशमय हैं, तो दूरदराज की ग्रामीण गलियां और चौपाल भी आलोकित हैं। बाज़ारों में बेतहाशा भीड़ है, तो किसी के संसाधन भी बेहद सीमित हैं, लेकिन मन की फिज़ाओं में हर्ष, उल्लास, उमंग, उत्साह, उत्सव, मिठास, अपनत्व के भाव तैर रहे हैं। चारों ओर रोशनी की कतारें हैं। दूसरी ओर, आज कार्तिक माह की अमावस्या का दिन है-काली, अंधेरी, बिना चांद की रात! फिर भी रात की भयावहता और सन्नाटा बिल्कुल भी डरा नहीं रहे हैं। दिवाली जीवन के इन्हीं विरोधाभासों का त्योहार है। आज किसी भी अयोध्या में राम, मां सीता और लक्ष्मण के साथ, नहीं लौटेंगे, लेकिन फिर भी प्रतीक्षा और उम्मीद है कि वे हौले-हौले कदमों से लौटेंगे और प्रत्येक अयोध्या को आबाद करेंगे। सभी प्रफुल्लित होंगे। नगाड़े बजेंगे। आतिशबाजियां भी चलाई जाएंगी और पटाखे भी फूटेंगे। हमें अपने पर्यावरण की भी चिंता है, क्योंकि सभी राम की ही अयोध्या हैं। हर भारतीय के मानस में आज भी राम मौजूद हैं, बेशक उनका शारीरिक अस्तित्व गायब लगता है। हमारे राम सनातन और सक्रिय हैं।
divyahimachal