सम्पादकीय

फिर भी कहना जरूरी

Triveni
9 July 2021 4:16 AM GMT
फिर भी कहना जरूरी
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हालांकि इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, फिर भी इन्हें कहते रहना जरूरी समझा जाता है।

हालांकि इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, फिर भी इन्हें कहते रहना जरूरी समझा जाता है। इसलिए सोलह देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है, तो उस बात जरूर अहमियत दी जानी चाहिए। जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, वे निरस्त्रीकरण की बात नहीं करते। उनकी जुगत सिर्फ यह रहती है कि अब कोई नया देश इन हथियारों को ना बना पाए। जबकि ये सोच सिरे से अन्यायपूर्ण है। दरअसल, अगर परमाणु हथियार संपन्न देश निरस्त्रीकरण की दिशा में कदम उठाएं, तो पूरी दुनिया में खुद परमाणु हथियारों के खिलाफ जनमत बनेगा। मगर गुजरे देशों का इतिहास है कि जिन देशों ने ये हथियार बना लिए, उनका अब इन्हें खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। बहरहाल, स्पेन की राजधानी मैड्रिड में स्टॉकहोम पहल के नाम से हुए सम्मेलन में सभी 9 परमाणु हथियार संपन्न देशों से ऐसे कदम उठाने की अपील की गई, जो परमाणु हथियार अप्रसार संधि के अनुकूल हों। परमाणु हथियार नियंत्रण कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले इन देशों ने कहा कि जहां तनाव और अविश्वास का बोलबाला है, वहां परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने का खतरा है। ये बात बिल्कुल ठीक है कि पहले के मुकाबले आज परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच ठोस संधियों को बढ़ावा देने की ज्यादा जरूरत है।

जर्मनी, स्पेन और स्वीडन समेत 16 देश दुनिया भर में परमाणु हथियारों की संख्या घटाने की पहल कर रहे हैं। जून में स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच पहली शिखर वार्ता हुई। अमेरिका और रूस दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार वाले देश हैं। जिनेवा में हुई बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच एटमी हथियारों पर नियंत्रण के लिए बातचीत करने पर सहमति बनी। ताजा सम्मेलन के बाद जारी एक बयान में उम्मीद जताई गई कि अमेरिका और रूस भविष्य में हथियारों पर नियंत्रण और जोखिम कम करने वाले कदम उठाने के लिए जरूरी बुनियाद रखने की कोशिश करेंगे। फरवरी 2021 में रूस और अमेरिका नई स्टार्ट निशस्त्रीकरण संधि को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए थे। संधि के तहत दोनों देश अपने लॉन्चरों की सीमा 800 और हमले के लिए तैयार परमाणु हथियारों की संख्या 1,550 से आगे नहीं बढ़ाएंगे। रूस और अमेरिका के बीच फिलहाल हथियारों पर नियंत्रण की सबसे बड़ी संधि न्यू स्टार्ट संधि ही है।


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