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- फिर भी कहना जरूरी

हालांकि इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, फिर भी इन्हें कहते रहना जरूरी समझा जाता है। इसलिए सोलह देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है, तो उस बात जरूर अहमियत दी जानी चाहिए। जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, वे निरस्त्रीकरण की बात नहीं करते। उनकी जुगत सिर्फ यह रहती है कि अब कोई नया देश इन हथियारों को ना बना पाए। जबकि ये सोच सिरे से अन्यायपूर्ण है। दरअसल, अगर परमाणु हथियार संपन्न देश निरस्त्रीकरण की दिशा में कदम उठाएं, तो पूरी दुनिया में खुद परमाणु हथियारों के खिलाफ जनमत बनेगा। मगर गुजरे देशों का इतिहास है कि जिन देशों ने ये हथियार बना लिए, उनका अब इन्हें खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। बहरहाल, स्पेन की राजधानी मैड्रिड में स्टॉकहोम पहल के नाम से हुए सम्मेलन में सभी 9 परमाणु हथियार संपन्न देशों से ऐसे कदम उठाने की अपील की गई, जो परमाणु हथियार अप्रसार संधि के अनुकूल हों। परमाणु हथियार नियंत्रण कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले इन देशों ने कहा कि जहां तनाव और अविश्वास का बोलबाला है, वहां परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने का खतरा है। ये बात बिल्कुल ठीक है कि पहले के मुकाबले आज परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच ठोस संधियों को बढ़ावा देने की ज्यादा जरूरत है।
