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ऐसे लेन-देने से पैसे वाले लोग और भी अधिक अकूत पैसा बना सकते हैं, लेकिन
ऐसे लेन-देने से पैसे वाले लोग और भी अधिक अकूत पैसा बना सकते हैं, लेकिन उससे देश की अर्थव्यवस्था या राजकोष को कोई फायदा नहीं होता। इसलिए केंद्र सरकार का निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला सही दिशा में एक कदम है। जरूरत यह है कि ये कदम मुक्कमल हो।
देश के हजारों करोड़ रुपए एक ऐसे लेन-देन में लग जाएं, जिसका कोई हिसाब-किताब सरकार के पास ना हो, उसे को भी देश कतई इजाजत नहीं दे सकता। ऐसे लेन-देने से पैसे वाले लोग और भी अधिक अकूत पैसा बना सकते हैं, लेकिन उससे देश की अर्थव्यवस्था या राजकोष को कोई फायदा नहीं होता। साथ ही ऐसे लेन-देन का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा की विरोधी ताकतें भी कर सकती हैं। इसलिए केंद्र सरकार का निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को सही दिशा में एक कदम माना जाएगा। सरकार ने इसके लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक बिल लाने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि भारत क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का एलान करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे पहले सितंबर में चीन ने क्रिप्टोकरंसी में हर तरह के लेनदेन को अवैध करार दे दिया था। विकसित देशों में भी ऐसे प्रतिबंध की मांग उठ रही है, लेकिन इस कारोबार के पीछे जिस तरह के बड़े निहित स्वार्थ हैं, उनके प्रभाव के कारण अभी तक ऐसी ठोस पहल नहीं की गई है। बहरहाल, धनी देशों की अर्थव्यवस्था का गतिशास्त्र किसी विकासशील अर्थव्यवस्था से अलग होता है। इसलिए वे देश क्या करते हैं, वह इस मामले में भारत जैसे देश के लिए मॉडल नहीं हो सकता। भारत में पिछले एक साल में क्रिप्टोकरंसी का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है। पिछले साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरंसी पर लगे प्रतिबंध के आदेश को पलट दिया था, जिसके बाद लोगों ने बड़ी संख्या में इसमें निवेश किया। आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में क्रिप्टोकरंसी में निवेश 600 प्रतिशत बढ़ा है। इसीलिए जून में भारतीय रिजर्व बैंक ने ने बिटकॉइन, ईथीरियम और अन्य निजी क्रिप्टोकरंसियों को लेकर चिंता जताई थी। अब जारी ससंदीय बुलेटिन के मुताबिक नए लोकसभा सत्र में लाए जाने वाले बिल में अपवाद के तौर पर कुछ विकल्प भी होंगे ताकि क्रिप्टो तकनीक को बढ़ावा दिया जाए। लेकिन इस बिल के बारे में कोई और जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है। आशंका है कि ये अपवाद उन लोगों के हित में हो सकते हैं, जो अत्यधिक प्रभावशाली हैँ। अगर ऐसा हुआ, तो उससे प्रस्तावित कानून का उद्देश्य परास्त हो जाएगा। जरूरत इस बात की है कि कार्रवाई मुक्कमल हो। वरना, वह एक दिखावटी कदम बन कर रह जाएगा।
नया इण्डिया

Gulabi
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