सम्पादकीय

ऑनलाइन सेफ रहें बच्चे

Subhi
19 Feb 2022 3:04 AM GMT
ऑनलाइन सेफ रहें बच्चे
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सोशल मीडिया के बच्चों पर पड़ते नेगेटिव असर को लेकर दुनिया भर में लंबे अर्से से चिंता जताई जाती रही है। अब अमेरिकी कांग्रेस ने इस मामले में ठोस पहल की है।

सोशल मीडिया के बच्चों पर पड़ते नेगेटिव असर को लेकर दुनिया भर में लंबे अर्से से चिंता जताई जाती रही है। अब अमेरिकी कांग्रेस ने इस मामले में ठोस पहल की है। वहां रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों से जुड़े दो सीनेटरों ने किड्स ऑनलाइन सेफ्टी बिल 2022 पेश किया है। जैसा कि स्पष्ट है, दोनों पार्टियों के सीनेटर मिलकर यह बिल लाए हैं, इसे पक्ष-विपक्ष दोनों का समर्थन हासिल है, इसलिए बिल के दोनों सदनों से पारित होने में किसी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए। बिल में ऐसे कई प्रावधान हैं जिनके जरिए टेक कंपनियों को उनके प्रोडक्ट्स का संभावित दुरुपयोग रोकने वाले फीचर्स डालने के लिए राजी किया जा सकेगा और उन्हें उनके प्रोडक्ट्स के संभावित दुष्परिणामों को लेकर ज्यादा जिम्मेदार बनाया जा सकेगा। उदाहरण के लिए, इसके मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स की खातिर प्राइवेसी का विकल्प देना होगा और ऐसे फीचर्स जिनकी लत लगने की संभावना हो, उन्हें डिसेबल करने की सुविधा भी देनी होगी। इसी तरह ऐप में ऐसे टूल देना अनिवार्य होगा, जिनके जरिए पैरंट्स इस पर नजर रख सकें कि बच्चे ऐप पर कितना वक्त बिता रहे हैं। यही नहीं, इन कंपनियों से यह भी अपेक्षा रहेगी कि वे बच्चों को संभावित नुकसानों से बचाने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहें। यह देखते रहें कि बच्चे उनके प्रोडक्ट्स की वजह से खुदकुशी करने या खुद को नुकसान पहुंचाने की दिशा में न प्रवृत्त हों।

इसके अलावा बिल में यह भी कहा गया है कि कंपनियां अपना दायित्व सही ढंग से निभा रही हैं या नहीं यह देखने की भी स्वतंत्र व्यवस्था होनी चाहिए। सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नाबालिग यूजर्स से जुड़े डेटा शोध संस्थानों या निजी शोधकर्ताओं से साझा करना भी अनिवार्य होगा ताकि बच्चों के बिहेवियर पैटर्न में बदलाव और उनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर रिसर्च का काम निर्बाध रूप से आगे बढ़े। अमेरिकी कांग्रेस की इस ठोस पहल के पीछे पिछले कई महीनों से वहां इस मसले पर जारी गंभीर विचार-विमर्श की अहम भूमिका रही है, जिसकी शुरुआत फेसबुक को लेकर पिछले साल हुए खुलासों से ही हो गई थी। हालांकि फेसबुक ने पूर्व कर्मियों के इन आरोपों को गलत बताया कि वह यूजर्स की सेफ्टी के ऊपर मुनाफे को तरजीह दे रही थी, लेकिन इस विवाद से टेक कंपनियों पर कानूनी अंकुश की जरूरत रेखांकित हो गई। यह बिल कानून में बदल जाता है और इस पर ठीक से अमल होने लगता है तो बहुत संभव है कि इसका काफी कुछ फायदा अन्य देशों के यूजर्स तक अपने आप पहुंचने लगे। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। अन्य देशों को भी अपने यहां की विशिष्ट परिस्थितियों के मद्दनेजर यूजर्स की सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। इसमें और देर करना ठीक नहीं।

नवभारत टाइम्स

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