सम्पादकीय

स्टेटस सिंबल

Gulabi
17 Dec 2021 4:29 AM GMT
स्टेटस सिंबल
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‘नए साल का क्या कार्यक्रम है? मेरे विचार से डिनर फाइव स्टार में ठीक रहेगा।’
'नए साल का क्या कार्यक्रम है? मेरे विचार से डिनर फाइव स्टार में ठीक रहेगा।' वे सूट की टाई को ठीक करते हुए बोले। मित्र बोले-'नहीं प्रोग्राम सैट हो गया है। इधर एक करोड़पति दोस्त के यहां कॉकटेल है। मुझे वहीं जाना होगा। आप भी आइए, लास्ट में डांस भी रखा गया है। मित्रों की पत्नियां भी हांेगी। भाभी जान को भी ले आएं।' वे चमचमाती कार में घुसते हुए बोले-'नहीं, फाइव स्टार में कार्यक्रम तय है। वहां भी वेस्टर्न डांस और डिं्रक्स भी रखा गया है।' मित्र महाशय ने कहा-'ओ.के., लेकिन न्यू ईयर ईव धूमधाम से हो। वैसे भी समय कहां रह गया है हम लोगों को एन्ज्वॉय करने का।' वे वापस कार से बाहर आकर बोले-'सुना है वह तुम्हारा फटीचर दोस्त अपनी बीवी को लेेकर फॉरेन चला गया है। मैंने तो जबसे सुना है हैरान हूं कि हम लोग विदेश जाने की अपोर्च्युनिटी नहीं ले पाए और वह पिद्दी …।' मित्र बीच में ही बात काट कर बोले-'अरे यार वह तो एकेडेमिक ट्रिप पर गया है। सरकारी एजेंसी से पैसा मिला था। वह क्या जाएगा बेचारा फॉरेन।' उन्होंने कहा-'लेकिन तुम्हें उसे ज्यादा लिफ्ट नहीं देनी चाहिए। हमारा स्तर गिरता है।' मित्र बोले-'हां वह तो है, लेकिन पढ़ा-लिखा नॉलेज वाला है। उसकी बातें मजेदार होती हैं। खैर ओ.के., फिर मिलेंगे।' 'कैसी रही नए वर्ष की शाम? सच मैं तो दो-तीन दिन तक होश में ही नहीं आया। वेस्टर्न म्यूजिक पर बड़ा ही रोमेंटिक डांस था।' वे बोले। मित्र ने कहा-'सारा मजा किरकिरा हो गया मेरा तो। उधर कर्फ्यू लग गया, जाना ही नहीं हो पाया। फिर घर पर वह दोस्त आ गया था, जो फॉरेन गया था। बस उसी के साथ पीते रहे।' 'तुमने अपना स्तर बहुत गिराया है। मेरी राय में तुम्हें हाई सर्किल सोसायटी में मूव करना चाहिए।
छोटे लोगों के साथ बैठना-उठना हमें शोभा नहीं देता।' उन्होंने फिर दोस्त का जिक्र आने पर उन्हें ताकीद किया। 'तुम नहीं समझोगे यार। वह मेरा लंगोटिया भी है। असलियत तो यह भी है कि मुझे उसने कॉलेज पीरियड में बहुत सपोर्ट किया। यह बात अलग है कि बाद में मैं बिजनेस में सक्सेस रहा और वह गवर्नमेंट सर्विस करने लगा। आखिर इंसानियत भी तो कोई चीज है।' मित्र ने कहा। उन्होंने ठहाका लगाया और बोले-'इंसानियत, क्या वाहियात बात कही है तुमने भी यार। एकदम आउटडेटेड विचार। यार नए युग में सांस ले रहे हो। लेकिन सोच को अभी भी पारंपरिक रूप से ढो रहे हो। यह सर्वथा स्टेटस के विरुद्ध बात है।' मित्र सिटपिटा गया, कह कुछ नहीं पाया। वे दोनों फिर मिले एक पार्टी में। कार वाले महाशय ने अपने मित्र महाशय को पहचाना ही नहीं। मित्र महाशय उनके पास जाकर बोले-'क्यों क्या बात है? नाराज हो।' 'नाराज क्या, तुम्हारा स्टेटस मेरे लायक नहीं है। भले तुम्हारे पास पैसा हो गया, लेकिन अपने अनुकूल और स्तर का सर्किल बनाना तुम्हें अभी तक नहीं आता। जैसे तुम अभी भी उस फटीचर दोस्त को नहीं छोड़ पाए हो।' 'मैं समझा नहीं।' मित्र ने पूछा। वे बोले-'नए धनाढ़य वर्ग में शामिल होने तथा उनकी सोसायटी पाने के लिए पुराने गलीज लोगों को छोड़ना भी स्टेटस सिंबल है। तुम्हें सिर्फ मुझसे और मेरे जैसे मित्रों से ही जुड़ना चाहिए।' यह कहकर वे दूसरी ओर चले गए।
पूरन सरमा
स्वतंत्र लेखक
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