- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- औकात
x
Editorial: सुबह से ही घर में चहल-पहल थी और इस चहल-पहल को देख कर के सुमेधा जी बहुत खुश थी। उनके बड़े बेटे बहु दिल्ली से दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए आए थे। हर बार ठीक दिवाली के दिन आना होता है, पर इस बार वरूण भैया को पांच दिन की छुट्टी मिल गई है इसलिए पूरे त्यौहार को यहीं पर मनाने का इरादा था।
सुमेधा जी और हरिओम जी के दो बेटे और एक बेटी है। बड़ा बेटा वरुण अपनी पत्नी निशा के साथ जॉब के कारण दिल्ली में रहता है। उनके दो प्यारे बच्चे हैं अनुज और वाणी। वही छोटा बेटा अमन अपनी पत्नी रीमा के साथ सुमेधा जी के साथ ही रहता है और यहीं रहकर जॉब करता है। उनका एक बेटा है अनिकेत। बेटी आराधना की शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में बेहद खुश हैं।
दोपहर का खाना हो जाने के बाद जब सभी परिवार के लोग साथ बैठे तब सुमेधा जी ने अपनी दोनों बहूओं को याद दिलाया,
'भाई त्यौहार आ गया है तो तुम्हारे पीहर वाले त्यौहार कब भेज रहे हैं? उन्हें याद दिला देना'
रीमा ने कहा,'जी, मेरा छोटा भाई त्यौहार लेकर कल आ जाएगा। मेरी उस से बात हो गई है'
' ठीक है! और निशा तुम्हारे पीहर से कौन आ रहा है? पिछली बार भी त्यौहार नहीं आया था। क्या बार-बार याद दिलाना पड़ता है? इतनी समझ खुद में नहीं है कि बहन बेटी के घर में त्यौहार जाता है'
निशा के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था। निशा के पिताजी नहीं थे। जैसे तैसे उसकी माँ ने अपने दोनों बच्चों की परवरिश की थी। निशा बड़ी थी और उसका छोटा भाई आर्मी में था।
पिछली दिवाली के वक्त उसकी माँ की तबीयत ठीक नहीं थी और भाई को छुट्टी नहीं मिल पाई थी। इस कारण त्यौहार नहीं आ पाया था। बस इसी बात पर सुमेधा जी नाराज हो गई थी और त्यौहार के निशा को रुला कर उसका पीछा छोड़ा था। इस बार भी त्यौहार की उम्मीद कम थी क्योंकि भाई ने पहले ही बता दिया था कि उसे इस बार भी दिवाली पर छुट्टी नहीं मिल पा रही है। और माँ अकेली कैसे सब कुछ करेगी इसलिए जैसे तैसे निशा ने हिम्मत करके कहा,
' इस बार भी त्यौहार की उम्मीद कम है'
'क्यों? क्या हो गया '
'भाई को छुट्टी नहीं मिली है और आप देख सकते हैं कि माँ अकेली कैसे सब करेगी? उनकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती'
' तो मैं क्या करूं? जो रिवाज है वे तो करने ही पड़ेंगे'
'पर '
'पर वर कुछ नहीं जानती मैं। रिवाज नहीं कर सकते तो शादी क्यों की। मुझे नहीं पता, कही से भी करो, त्यौहार तो करने ही पड़ेंगे'
सुनकर निशा रुआँसी हो गई। लेकिन कहे भी किससे। कोई कुछ कहने वाला भी नहीं था या शायद सुमेधा जी के सामने कुछ कहने की किसी में हिम्मत नहीं थी। नन्ही वाणी सब कुछ देख रही थी तो उसने रीमा से पूछा,
'चाची ये त्यौहार क्या होता है? '
'बेटा त्यौहार का मतलब नये कपड़े, मिठाईयाँ होता हैं'
इसके बाद निशा और रीमा रात के खाने की तैयारी में लग गए। रात के खाने के समय जब सब लोग इकट्ठे खाना खाने बैठे, तो अनिकेत ने अपने दोनों भाई बहन से पूछा,
' अनुज भैया और वाणी दीदी आप दोनों का फेवरेट त्यौहार कौनसा है? '
अनुज ने कहा कि उसका फेवरेट त्यौहार दिवाली है, वही वाणी ने कहा,
'मुझे कोई त्यौहार पसंद नहीं है '
सुनकर सब लोग वाणी की तरफ देखने लगे। तभी वरुण ने कहा,
'क्यों वाणी बेटा? आपको कोई त्यौहार क्यों पसंद नहीं '
' क्योंकि मेरे पापा की इतनी हिम्मत नहीं है कि वो हर त्यौहार पर अपने पैसों से हमें कपड़े दिला सके, इसलिए मम्मी का चेहरा उदास हो जाता है और वे कई बार रोने लगती हैं'
' यह तुम क्या कह रही हो बेटा? तुम्हें किसने कहा कि तुम्हारे पापा की इतनी हिम्मत नहीं है कि वे तुम्हें हर त्यौहार पर कपड़े नहीं दिला सकते'
' पापा मैंने देखा है कि हर त्योहार पर सबके कपड़े और मिठाई नानी के घर से आते हैं। इसका मतलब साफ है ना कि हमारे पास कपड़े और मिठाई खरीदने के पैसे नहीं है। आप ने सुना नहीं सुबह दादी मम्मी को कितना डाँट रही थी। उनके पास दीवाली पर पहनने के लिए कपड़े नही है न इसलिए' वाणी इतना कहकर तो चुप हो गई।
लेकिन आज उसकी बात का जवाब देने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। पर सबसे ज्यादा सुकून तो निशा और रीमा के चेहरे पर था कि एक बच्ची ने ही सही, इन लोगों को इनकी औकात तो दिखा दी।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट
TagsStatusऔकातजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Gulabi Jagat
Next Story