- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- भुखमरी का आपातकाल
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मानवीय संकट की एक बार फिर चर्चा करना लाजिमी है। इस बार हालात 'भुखमरी के आपातकाल' सरीखे हो गए हैं। खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है अथवा बेहद महंगा हो गया है। गेहूं का आयात-निर्यात बाधित हो गया है, लिहाजा संयुक्त राष्ट्र की रपट इनसानी रूह तक कंपाने वाली हैै कि करीब 1.30 करोड़ लोग भूखे रह सकते हैं। यह आंकड़ा बड़ा भी हो सकता है, क्योंकि जब रपट संकलित की गई होगी, उसके बाद हालात और भी वीभत्स हुए हैं। युद्ध और भी विध्वंसकारी होता जा रहा है। बहरहाल रपट में आकलन किया गया है कि सोमालिया, यमन, सीरिया, मंगोलिया, इथियोपिया और ऑर्मेनिया आदि देशों में भुखमरी के हालात इतने पक चुके हैं कि देशों ने 'अनाज का आपातकाल' घोषित कर दिया है। रूस और यूक्रेन बीते कई सालों से 30 फीसदी से अधिक गेहूं का निर्यात इन देशों को करते थे। युद्ध ने उसे लील दिया है। युद्ध के कारण 20-30 फीसदी फसल इस बार बोई भी नहीं गई है। सप्लाई चेन टूट चुकी है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली