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आज नवरात्र का पहला दिन है। देवी की उपासना को समझने के लिए हमारे यहां एक पुराण है-
पं. विजयशंकर मेहता। आज नवरात्र का पहला दिन है। देवी की उपासना को समझने के लिए हमारे यहां एक पुराण है- देवी भागवत महापुराण। इसकी कथाएं, इसके सिद्धांत हमें समझाते हैं कि जीवन के वर्तमान और भविष्य को ठीक से जीया जाए। बच्चे वर्तमान में जीते हैं, युवा भविष्य की सोचते हैं और बूढ़े लोग अतीत में खोए रहते हैं।
यह हम मनुष्यों का मनोविज्ञान है। इन नौ दिनों में भीतर की शक्ति हमें इस सिद्धांत से परिचित करवाएगी। अतीत एक तरह से मुर्दा है। इसका बहुत अधिक बोझ न ढोएं। अपने अतीत को विसर्जित करें, एक बच्चे की तरह वर्तमान में जीएं और युवा की तरह भविष्य पर नजर रखें। देवी भागवत पुराण में कथा आती है- कृष्ण जब स्यमन्तक मणि लेने गए तो जामवंत से उनका युद्ध हुआ। द्वारिका के लोग गुफा के द्वार पर पत्थर रखकर आ गए और कृष्ण भीतर जामवंत के साथ युद्ध करते रहे।
पिता वसुदेव को चिंता हुई तो नारदजी ने उनसे कहा- आप देवी भागवत की कथा सुनिए और देवी की उपासना करिए। वसुदेवजी ने ऐसा ही किया। नौ दिन बीते और कृष्ण जांबवती के साथ विवाह कर सकुशल लौट आए। कथा के पीछे का भाव यह है कि संतान सुख के लिए देवी भागवत का श्रवण, स्मरण अद्भुत माना गया है। तो क्यों न नवरात्र की शुरुआत इसी तरह से करें। बच्चों में शक्ति के सदुपयोग के संकेत छोड़ें और इसीलिए उन्हें भी इस पर्व से जोड़ें।
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