सम्पादकीय

आज ही अपने स्वास्थ्य का प्रबंधन और निगरानी शुरू करें तभी भारत को स्वस्थ बनाने में योगदान दे पाएंगे

Rani Sahu
4 Sep 2021 1:30 PM GMT
आज ही अपने स्वास्थ्य का प्रबंधन और निगरानी शुरू करें तभी भारत को स्वस्थ बनाने में योगदान दे पाएंगे
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इस गुरुवार की सुबह मैं कोकिलाबेन धीरूभाई हॉस्पिटल, मुंबई के शीर्ष प्रबंधन के साथ अस्पताल के प्रबंधन संबंधी समस्याओं पर चर्चा कर रहा था

एन. रघुरामन। इस गुरुवार की सुबह मैं कोकिलाबेन धीरूभाई हॉस्पिटल, मुंबई के शीर्ष प्रबंधन के साथ अस्पताल के प्रबंधन संबंधी समस्याओं पर चर्चा कर रहा था। आमतौर पर मेरा मोबाइल नहीं बजता है क्योंकि मुझे कम ही लोग कॉल करते हैं। फिर भी मैंने मोबाइल डिस्कनेक्ट किया, पर तभी एक मैसेज आया। मैं हैरान रह गया। मैसेज पर विश्वास नहीं हुआ।

सिद्धार्थ शुक्ला नहीं रहे। ऐसे व्यक्ति जो परदे पर अपने किरदारों से नहीं, बल्कि नाम से जाने गए। 40 कोई उम्र नहीं होती जाने की। क्षमताओं और महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए किसी युवा को खोने का दर्द और बढ़ जाता है। मनोरंजन उद्योग ने हार्टअटैक के कारण एक युवा खो दिया।
जब मैंने वहां मौजूद डॉक्टरों से पूछा कि इतनी कम उम्र में हार्टअटैक का क्या कारण होता है तो उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हो सकते हैं, जिसमें ब्लड प्रेशर (बीपी) भी शामिल है। सिक्योरिटी पिन और पासवर्ड से भरी इस दुनिया में कुछ जरूरी नबंर ऐसे भी हैं, जो हमें बीमारी या मौत से बचा सकते हैं। पर ज्यादातर युवा जानते ही नहीं कि ये नंबर हमारे ब्लड प्रेशर की रीडिंग है।
हायपरटेंशन (बढ़ा बीपी) दुनिया में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। बुरी खबर यह है कि बीपी के स्पष्ट लक्षण कम ही दिखते हैं। इसीलिए उसे साइलेंट किलर कहते हैं। लैंसेट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट 2020 के मुताबिक बीमारी से होने वाली कुल मौतों में 20% बीपी के कारण होती हैं। 50% हृदय रोग और 60% स्ट्रोक का कारण भी बीपी है। धरती पर करोड़ों लोग बीपी से पीड़ित हैं, जिससे उनके लिए स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है। इसीलिए बीपी रीडिंग महत्वपूर्ण है।
बीपी दो नंबरों से दर्ज होता है, जिससे यह भ्रमित करने वाला अंक लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है। ऊपरी संख्या सिस्टोलिक प्रेशर है, यानी वह ताकत, जिससे दिल पूरे शरीर में खून भेजता है। निचली संख्या डायस्टोलिक प्रेशर है, यानी जब दिल रिलेक्स होता है। कार्डियोवस्कुलर मेडीसिन के मेडिकल विशेषज्ञ पहले सोचते थे कि निचली संख्या ही समस्या है। लेकिन अब वे जानते हैं कि ऊपरी नंबर महत्वपूर्ण है, खासतौर पर 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए। आमतौर पर स्वस्थ नसें, बढ़ते-घटते बीपी के मुताबिक फैलती-सिकुड़ती हैं।
ज्यादा बीपी से नसों का लचीलापन समय के साथ खत्म होने लगता है और वे सख्त तथा संकरी होने लगती हैं। बढ़े प्रेशर के कारण जब नसें सिकुड़ी रहती हैं, दिल के लिए खून पंप करना मुश्किल हो जाता है, जिससे इसमें घातक तनाव पैदा हो जाता है। अगर आपका वजन ज्यादा है, नमक ज्यादा खाते हैं (अक्सर प्रोसेस्ड फूड से), फल-सब्जियां नहीं खाते, शराब, कैफीन का अत्यधिक सेवन और धूम्रपान करते हैं तो हायपरटेंशन की आशंका बढ़ जाती है। तो हम क्या करें? या तो इन्हें बंद करें या काफी कम कर दें।
व्यक्तिगत तौर पर मैं भारतीय दवा दुकान मालिकों से छोटे से परोपकार का निवेदन करना चाहूंगा, जैसा कि अक्टूबर से यूके के केमिस्ट करेंगे। वे 40 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए अपनी दुकान पर मुफ्त बीपी नापने की योजना ला रहे हैं। 'चैरिटी ब्लड प्रेशर, यूके' हर नागरिक को अपना सही बीपी जानने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। हमें भी स्वास्थ्य के प्रति ऐसी जागरूकता के लिए कुछ करना चाहिए।
फंडा यह है कि हेल्थकेयर हमेशा ही सबसे बड़ा मुद्दा था और है। छोटे स्तर पर इससे संबंधी जांचों के अलावा जीवनशैली में बदलाव से हम निश्चिततौर पर भारत को स्वस्थ बनाने में योगदान दे पाएंगे।


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