सम्पादकीय

बदनामी के दाग: परमबीर सिंह की चिट्ठी ने जो सवाल खड़े किए हैं, उनका जवाब देने में महाराष्ट्र सरकार के छूट रहे हैं पसीने

Subhi
22 March 2021 4:00 AM GMT
बदनामी के दाग: परमबीर सिंह की चिट्ठी ने जो सवाल खड़े किए हैं, उनका जवाब देने में महाराष्ट्र सरकार के छूट रहे हैं पसीने
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मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाए गए परमबीर सिंह की इस आशय की चिट्ठी सनसनीखेज ही नहीं,

मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाए गए परमबीर सिंह की इस आशय की चिट्ठी सनसनीखेज ही नहीं, महाराष्ट्र सरकार को शर्मसार करने वाली भी है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख जिलेटिन कांड में गिरफ्तार सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे से सौ करोड़ रुपये मासिक मांग रहे थे। अभी यह स्पष्ट नहीं कि हर माह सौ करोड़ रुपये की उगाही शुरू हो गई थी या नहीं और यह रकम केवल गृहमंत्री तक पहुंचती थी या फिर उसके और भी हिस्सेदार थे? हो सकता है कि ऐसे सवालों का जवाब कभी सामने न आए, लेकिन यह संदेह तो गहराता ही है कि महाराष्ट्र में तो ऐसे कई सचिन वाझे होंगे। परमबीर सिंह की चिट्ठी ने उस दौर की याद ताजा करा दी, जब मुंबई उगाही-वसूली के लिए कुख्यात थी। तब यह काम माफिया-मवाली करते थे। लगता है अब इसे सरकार चलाने वालों ने अपने हाथ में ले लिया है। सच जो भी हो, इस चिट्ठी ने जो सवाल खड़े किए हैं, उनका जवाब देने में यदि महाराष्ट्र की सत्ता में साझीदार शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को पसीने छूट रहे हैं तो इसके लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैं।

शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार जबसे सत्ता में आई है, वह अपनी फजीहत ही करा रही है। पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर हत्या हो या अर्नब और कंगना का मामला अथवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का प्रसंग, हर मामले में इस सरकार ने खुद को मुश्किल में डालने और अपनी जगहंसाई करने वाले काम किए हैं। यह लगभग तय है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देने को बाध्य होना पड़ेगा, लेकिन केवल उनके इस्तीफे से वे दाग धुलने वाले नहीं हैं, जो महाराष्ट्र सरकार के दामन पर चस्पा हो गए हैं। जब महाराष्ट्र की सत्ता से भाजपा को बाहर रखने के लिए राकांपा और कांग्रेस ने शिवसेना से हाथ मिलाया था और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के लोभ में अपनी समस्त रीति-नीति को किनारे कर दिया था, तभी यह साफ हो गया था कि यह स्वार्थो की पूíत के लिए किया जाने वाला गठबंधन है, लेकिन इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो कि यह खिचड़ी सरकार इतना खराब शासन करेगी। यह महाराष्ट्र सरकार की अक्षमता का ही प्रमाण है कि वह कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने में बुरी तरह नाकाम है। जब कोई सरकार कदम-कदम पर नाकामी से दो-चार होने के साथ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से भी घिर जाती है, तब वह अपने अंतिम दिन ही गिनते दिखती है। पता नहीं यह सरकार कब तक और कैसे चलेगी, लेकिन महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए शिवसेना संग कांग्रेस और राकांपा भी जवाबदेह हैं।

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