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- नफरत के मंच
एक सभ्य समाज में नफरत, हिंसा और भ्रामक सूचनाओं की कोई जगह नहीं होती। मगर विचित्र है कि भारत में ऐसी प्रवृत्तियां तेजी से बढ़ी हैं। खासकर, जबसे फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब पर निजी चैनल जैसे सामाजिक मेल-जोल के मंच बने हैं, तबसे नफरत फैलाने वाले भाषण, हिंसा पर जश्न मनाने और भ्रामक सूचनाएं परोसने की जैसे होड़-सी लग गई है। यह तथ्य खुद फेसबुक और कुछ अमेरिकी मीडिया संस्थानों ने अपने अध्ययन के बाद प्रकट किए हैं। अध्ययन कर्ताओं ने दो साल पहले फेसबुक पर खाते खोले और लगातार नजर बनाए रखी कि इस मंच पर भारत में कैसी सामग्री परोसी जा रही है। वे देख कर हैरान हो गए कि उनमें भ्रामक सूचनाओं और नफरत फैलाने वाले विचारों का अंबार लगा हुआ है। हालांकि फेसबुक का दावा है कि वह किसी आपत्तिजनक सामग्री को प्रकाशित नहीं करता, ऐसा करने वालों को तुरंत चेतावनी भेजता और सामग्री को रोक देता है। मगर हकीकत यह है कि भारत की कुल बाईस भाषाओं में से केवल पांच में उसने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए ऐसी सामग्री की छन्नी लगा रखी है। यहां तक कि हिंदी और बांग्ला जैसी बड़ी भाषाओं में भी परोसी जाने वाली सामग्री का विश्लेषण करने का कोई उपाय उसके पास नहीं है। जाहिर है, इससे उपद्रवी और संकीर्ण मानसिकता के लोगों को एक खुला मैदान मिल गया है।