सम्पादकीय

एसएस राजामौली की RRR दो सितारों का ऐसा गठबंधन है जिसके अपने राजनीतिक मायने हैं

Gulabi Jagat
31 March 2022 12:52 PM GMT
एसएस राजामौली की RRR दो सितारों का ऐसा गठबंधन है जिसके अपने राजनीतिक मायने हैं
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एसएस राजामौली की नई मैगनम ओपस RRR ऐसी फिल्म नहीं है जिसकी समीक्षा सामान्य तरीके से की जा सके
एम. के. राघवेंद्र।
एसएस राजामौली (S. S. Rajamouli) की नई मैगनम ओपस RRR ऐसी फिल्म नहीं है जिसकी समीक्षा सामान्य तरीके से की जा सके. यह स्पष्ट रूप से एक देशभक्ति फिल्म है, जो 1920 के आसपास दो वीर तेलुगु (Telugu) पुरुषों – कोमाराम भीम और अल्लूरी सीताराम राजू – के बारे में है. ये दोनों ऐतिहासिक शख्सियत हैं, जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया और इस दौरान अपनी जान दे दी, लेकिन फिल्म काल्पनिक कहानियों को गढ़ती है जिसका ऐतिहासिक तथ्य से कोई संबंध नहीं है और उन्हें नामों से जोड़ देती है.
फिल्म में ब्रिटिश बहुतायत हैं और जो अप्रिय हैं उन्हें अंततः मार दिया जाता है, लेकिन फिल्म उपनिवेशवादियों की नफरत को प्रदर्शित नहीं करती है – जैसा कि हिंदी फिल्म 1942: ए लव स्टोरी ने किया था. न ही यह भारतीयों और अंग्रेजों के बीच उस शत्रुता को दर्शाती है, जिसे लगान में दिखाया गया, यह मूलरूप से 'पीरियड माहौल' क्रिएट करती है और डिजिटल एनिमेशन के प्रयोग से नॉन-स्टॉप एक्शन दिखाती है, जिसमें ठीक-ठीक यह ब्‍योरा भी नहीं मिलता है कि रोमांच आता कहां से है.
बॉडी का प्रदर्शन फैंस को पसंद आता है
उदाहरण के तौर पर, कोमाराम भीम को फिल्म की शुरुआत में एक बाघ को फंसाते हुए दिखाया गया है, लेकिन इसका कहानी से कोई खास संबंध नहीं है. बाद में, अंग्रेजों के बीच डिजिटल रूप से बनाए गए जंगली जानवरों से भरा एक ट्रक उनके द्वारा अपहृत एक आदिवासी लड़की को छुड़ाने के लिए छोड़ दिया जाता है. "पूरे दिल से यह फिल्म केवल एक उपयुक्त काल्पनिक पृष्ठभूमि क्रिएट कर रही है, जिसमें दो नायक अपनी शानदार बॉडी के साथ ताकत के करतब दिखाते हैं. उनके साथ जुड़े ऐतिहासिक शख्सियतों के नाम सिर्फ इसलिए जोड़े गए हैं, ताकि इन पात्रों को बड़ा कद दिया जा सके. "
भारतीय सितारों के लिए बॉडी बनाने की ये अनिवार्यता मुझे हमेशा जिज्ञासु बनाती है. ब्रैड पिट या लियोनार्डो डिकेप्रियो जैसे हॉलीवुड सितारे ऐसा नहीं करते हैं (जब तक कि एक सुपरहीरो फिल्म में कास्ट नहीं किया जाता है) और हॉलीवुड में मस्‍कुलर प्रेजेंस- श्वार्ज़नेगर और स्टेलोन मुख्य रूप से- उपयुक्त पात्रों को निभा रहे जो कि फिक्‍शन के लिए लिहाज से सूट करते हैं. फिर कोई मिल गया और सुपर 30 जैसी फिल्मों में अभिनय करते हुए ऋतिक रोशन जैसे भारतीय सितारे ऐसे बॉडी क्‍यों बनाते हैं?
मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि ज्यादातर भारतीय फिल्‍में, जिनमें ये मस्‍कुलर स्‍टार्स दिखाई देते हैं, आमतौर पर हम प्रत्येक फिल्म में स्‍टार को ही देख रहे होते हैं, किरदार को नहीं. बॉडी का प्रदर्शन फैंस को पसंद आता है, लेकिन इससे किरदार के बार में कोई नैरेटिव पता नहीं चलता है. जब भी ऐसा होता है तब हमें यह समझ लेना चाहिए कि फिल्‍म में फिक्‍शन कमजोर होगा — RRR के साथ भी बिल्‍कुल यही हुआ है.
दोनों सितारों को ईमानदारी से समान महत्व दिया गया है
फिल्‍म में सबसे पहले राम चरन (चिरंजीवी के बेटे) की एंट्री होती है एक पुलिस अधिकारी रामा राजू के तौर पर, जो कि अंग्रेजों के अधीन है. वह असामान्य वीरता का प्रदर्शन करता है, लेकिन उसे नजरअंदाज करके श्वेत अधिकारियों को अवॉर्ड दे दिया जाता है, जिनमें कोई भी विशिष्‍टता नहीं है. जब उसे सम्राट के चित्र पर पत्थर फेंकने वाले भारतीय सरदार को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया, तो वह विरोध कर रही भारतीयों की विशाल भीड़ को अपना रास्ता बनाता है. जब रामा राजू को नज़रअंदाज किया जाता है तब वह गुस्सा हो जाता है और हम देखते हैं कि वह पंचिंग बैग पर इतने घूंसे मारता है कि वह तहस-नहस हो जाता है.
फिल्म में राम चरन की तरह ही एनटीआर जूनियर भी कोमाराम भीम के रोल में धमाकेदार लगते हैं. अंग्रेज मल्ली को गोंड जाति के इलाके से अगवा कर लेते हैं और निजाम का दूत अंग्रेजों को चेतावनी देने के लिए आता है कि गोंड शांतिपूर्ण हैं लेकिन उनके पास एक निर्भीक रक्षक है जो तब तक आराम से नहीं बैठेगा जब तक कि वह लड़की को छुड़ा नहीं लेता. एनटीआर जूनियर द्वारा निभाए गए इस रक्षक भीम को जंगली जानवरों से लड़ते हुए और अपने नंगे हाथों का उपयोग करके एक बाघ को जाल में पकड़ते हुए पेश किया गया है, यहां तक कि बाघ का चेहरा उससे इंच भर ही दूर था.
दोनों सितारों को ईमानदारी से समान महत्व दिया गया है, लेकिन यह ज्ञात है कि एनटीआर जूनियर और चिरंजीवी परिवार के प्रशंसकों में भारी प्रतिद्वंद है और वे अक्सर एक दूसरे से टकराते रहते हैं; पवन कल्याण (चिरंजीवी के छोटे भाई) के एक प्रशंसक की ऐसे ही एक आमने-सामने के टकराव में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. चिरंजीवी ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी (जन सेना पार्टी) बनाई और जिसकी वजह से दोनों में टकराव और बढ़ा. लेकिन प्रत्येक सितारे की जाति संबद्धता आपसी दुश्मनी में बड़ी भूमिका निभा सकती है. एनटीआर जूनियर का परिवार 'कम्मा' है, जबकि चिरंजीवी 'कापू' हैं और दोनों प्रमुख जातियां हैं. एक फिल्मी सितारे का राजनीतिक में उदय इस बात पर उतनी निर्भर नहीं है कि पॉलिटिक्‍स के लिए कितना उपयोगी है बल्कि उस जाति समूह में वह कितना प्रतिष्ठित है यह ज्‍यादा अहम है. ऐसा लगता है कि लोग बड़े पैमाने पर जातियों के सदस्यों के रूप में वोट करते हैं और चूंकि फैन क्लब अंततः राजनीतिक दलों में विकसित हो जाते हैं, फैन क्लब शायद स्टार की जाति के लोगों से आबाद हैं.
RRR को बड़ी सफलता मिल रही है
फिल्म में रामा राजू अंग्रेजों के अधीन एक पुलिस अधिकारी है यह तथ्य दरअसल भुलावे के लिए मौजूद होता है क्योंकि वह वास्तव में बड़ा देशभक्त होता है और उसके पिता वेंकरराम राजू (अजय देवगन) को अंग्रेजों ने मार डाला था. रामा राजू के पिता ने उसे बताया कि भारतीयों के पास हथियारों की कमी थी और इसलिए वह पुलिस में बंदूकें चोरी करने के लिए, अपने लोगों को हथियार देने के लिए शामिल हुए. दो सितारे विपरीत दिशाओं में होना भी एक अच्‍छी बात है, क्योंकि राष्‍ट्रीय मुद्दों पर बड़े कद के सितारों को विभाजित नहीं किया जा सकता — खासकर तब जब वे अलग-अलग लेकिन समान रूप से प्रभावशाली जाति समूहों से संबंधित होते हैं. दोनों नायक वास्तव में दिल से देशभक्त हैं और समान रूप से अंग्रेजों के खिलाफ हैं और उनके बीच कोई दुश्मनी नहीं है (जिस तरह से उनके संबंधित प्रशंसक क्लबों के सदस्यों के बीच दुश्मनी है).
इसके जरिए मेल स्‍टार और फिल्म प्रशंसकों के बीच का रिश्‍ता सामने आता है, यह मेरा अपना अनुमान है कि स्‍टार के द्वारा जो रोल निभाया गया है, उससे फिल्म देखने वाले उतना जुड़ाव नहीं रखते हैं. किसी भी व्यक्ति के लिए खुद को भीम या रामा राजू के स्थान पर रखना असंभव होगा, यह देखते हुए कि वे किस तरह के वीरतापूर्ण कार्य कर रहे हैं. बॉलीवुड में सितारों की सफलता में जाति एक बड़ी भूमिका नहीं निभाती है, वे देश के किसी भी कोने से आते हैं। भारत में अनगिनत जातियां हैं, जो एक ही स्थान पर नहीं रहती हैं, लेकिन तेलुगु जैसे क्षेत्रीय सिनेमा में, ऐसा लगता है कि मेल स्टार की जाति पहचान उसकी सफलता में एक बड़ी भूमिका निभाती है और स्टार जाति की पहचान का प्रतीक बन जाता है. जाति समूह के भीतर वही प्रतिष्ठित स्थिति वोटों में तब्दील हो जाती है, जब भी स्टार राजनीति में प्रवेश करने का फैसला करता है.
RRR को बड़ी सफलता मिल रही है, लेकिन मुझे लगता है कि फिल्म की कामयाबी का प्रमुख कारण उन दो बड़े सितारों की कास्टिंग है, जो कि दो प्रमुख जातियों से आते हैं, जो आमतौर पर एक-दूसरे के प्रति प्रतिद्वंद्विता का भाव रखते हैं. राजामौली को इस काम में बहुत मेहनत करनी पड़ी कि एक स्‍टार दूसरे से ज्‍यादा प्रभावी होता न दिखे और बाद में दोनों साथ आ जाते हैं भले ही शुरुआत में उनके रिश्‍ते कैसे भी हों. यदि एक दूसरे से प्रेम करता है, तो दूसरा उसे समान रूप से प्यार करता है और जब एक, दूसरे स्‍टार को मारता है तो दूसरे तुरंत ही पहले को मारने का अवसर मिलता है. इन सभी बातों को ध्‍यान में रखते हुए, RRR उपनिवेशवाद के बारे में एक ऐतिहासिक फिल्म की जगह एक राजनीतिक गठबंधन की तरह लगता है.
(एमके राघवेंद्र एक प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)

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