- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- निराशा में डूबे...
x
by Lagatar News
Ashok Kumar Sharma
श्रीलंका का एशिया कप जीतना एक बहुआयामी घटना है. क्रिकेट केवल गलाकाट प्रतियोगिता नहीं. अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का अग्रदूत भी है. राष्ट्रीय गौरव का उत्प्रेरक भी. इस जीत ने राजनीतिक और आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका को खुश होने का मौका दिया. निराशा के भंवर में फंसे श्रीलंकाई नागरिकों को अरसे बाद आत्मगौरव की अनुभूति हुई.
यह एशिया कप श्रीलंका में ही होना था. लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण इसे संयुक्त अरब आमिरात में स्थानांतरित किया गया था.ये बात श्रीलंकाई खिलाड़ियों को कचोट रही थी. उन्होंने इस प्रतियोगिता को जीत कर देश के सम्मान को लौटाने का संकल्प लिया. लेकिन लक्ष्य आसान नहीं था. पहले ही मैच में अफगानिस्तान ने श्रीलंका को हरा कर उसकी उम्मीदों को धाराशायी कर दिया.इस हार ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों की अंतर्राआत्मा को झकझोर दिया.उनकी सुसुप्त आंतरिक शक्ति जैसे जागृत हो गयी. वे घायल शेर की तरह टूट पड़े. शक्ति के इस संचार ने फिर तो कायापलट कर दिया. भारत और पाकिस्तान जैसी मजबूत टीमों को मात दी.
क्रिकेट ने श्रीलंका में राष्ट्रीय गौरव की भावना जागृत की.एशिया कप के पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली जीत ने श्रीलंकाई नागरिकों के जख्म पर मरहम लगाया था. जून 2022 में ऑस्ट्रेलिया की टीम श्रीलंका के दौरे पर आयी थी. इस सीरीज में तीन टी-20, पांच एक दिवसीय और दो टेस्ट मैच खेले गये थे. टी-20 में श्रीलंका 2-1 से हार गया था. लेकिन उसने एकदिवसीय श्रृंखला 3-2 से जीत ली थी. टेस्ट श्रृंखला 1-1 से बराबर रही थी. दूसरे टेस्ट में श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 39 रनों से हराया था.ये बहुत बड़ी जीत थी.एक बिखरे और बदहाल देश ने कमाल कर दिया था.देश में निराशा और अंधकार के बीच क्रिकेट खिलाड़ियों ने आशा की मशाल जलायी. देशवासियों में आत्मविश्वास पैदा किया कि वे इस बदतर हालात में भी हौसले के दम पर कुछ नया कर सकते हैं.
विपत्ती ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों को एकता के सूत्र में बांध दिया.उनमें खुद को साबित करने की जिद पैदा हो गयी. आर्थिक रूप से बर्बाद देश के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी.इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रीलंका की प्रतिष्ठा बढ़ी. इस बड़ी जीत पर श्रीलंका के नागरिकों को भी आत्मगौरव की अनुभूति हुई.
राजनीतिक हिंसा और हंगामे के बीच ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम श्रीलंका आयी. उस समय श्रीलंका गंभीर बिजली संकट का सामना कर रहा था. जून में ऑस्ट्रेलियाई टीम कोलंबो के एक होटल में ठहरी हुई थी. उस समय टेस्ट टीम के कप्तान पैट कमिंस ने होटल के कमरे की एक तस्वीर साझा की थी. कमिंस और चार अन्य क्रिकेटर कमरे में बैठे हुए हैं. एक मोमबत्ती जल रही है और वे बिजली आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि रात का खाना शुरू कर सकें. कमिंस ने उदारता दिखाते कहा था, श्रीलंका इस समय कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन यहां के लोग बहुत अच्छे हैं.हम यहां आने के लिए आभारी हैं.गंभीर ऊर्जा संकट के कारण उस समय बिजली के दैनिक उपयोग का कोटा बहुत कम कर दिया गया था. इसलिए ऑस्ट्रेलियाई टीम को दिक्कत उठानी पड़ी.
अप्रैल में श्रीलंका के राजनीतिक हालात बिगड़ने लगे थे. देश में आवश्यक चीजों की कमी होने लगी थी. कैबिनेट के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिन्द्रा राजपक्षे (उनके भाई) अलग-थलग पड़ गये थे. फिर केन्द्रीय बैंक के गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया था.पूरे देश में जीवन रक्षक दवाएं कम हो गयी थीं. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गये थे. एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गयी थी. मई में हालात और खराब हो गये. हिंसक प्रदर्शन में नौ लोग मारे गये. भोजन की कमी हो गयी.जून में श्रीलंका का सारा ईंधन खत्म हो गया. आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर पेट्रोल की बिक्री पर रोक लगा दी गयी. देश में हाहाकार मच गया.उग्र जनता ने राष्ट्रपति आवास पर धावा बोल दिया.प्रधानमंत्री के घर में आग लगा दी.13 जुलाई को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका से भाग गये थे.
इस संकट के समय ऑस्ट्रेलियाई टीम ने श्रीलंका को बहुत सहारा दिया.राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल के बीच ऑस्ट्रेलियाई टीम ने श्रीलंका का दौरा कर एक सकारात्मक संदेश दिया.इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम ने खेल के तीनों रूपों से मिली पुरस्कार राशि श्रीलंका की बेहतरी के लिए दान कर दी.45 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (25 लाख, 36 हजार 294 रुपये) की यह सहायता श्रीलंका के करीब 17 लाख कमजोर बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य पर खर्च की गयी.क्रिकेट का यह मानवीय रूप प्रेरणादायी है.
ऑस्ट्रेलिया के दौरे से श्रीलंका के निराश और हताश नागरिकों में एक नये उत्साह का संचार हुआ.अंतिम एकदिवसीय मैच में एक अद्भुत दृश्य सामने आये था. कंगारू टीम के प्रति आभार जताने के लिए श्रीलंकाई नागरिक ऑस्ट्रेलिया की जर्सी पहनकर स्टेडियम पहुंचे थे.वे एक बहुत बड़े पोस्टर के साथ स्टेडियम पहुंचे थे जिस पर ऑस्ट्रेलियाई टीम की तस्वीर बनी थी और उसके नीचे लिखा था .ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका में राजनीतिक अराजकता के बीच मैच खेलने का साहस दिखाया था. जब श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच गॉल में दूसरा टेस्ट मैच (8-12 जुलाई) चल रहा था, तब असंतुष्ट लोगों ने स्टेडियम के बाहर प्रदर्शन किया था. नाराज हजारों लोगों ने स्टेडियम को बाहर से घेर लिया था. इस प्रदर्शन में श्रीलंका के पूर्व कप्तान सनथ जयसूर्या भी थे. लेकिन इस उग्र भीड़ ने क्रिकेट मैच को बाधित करने की कोशिश नहीं की. वे दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए ऐसा कर रहे थे. श्रीलंका के नागरिकों ने उन्हें दिल से सलाम किया. क्रिकेट के इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
Rani Sahu
Next Story