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पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ फूटे असंतोष को बेशक फिलहाल कांग्रेस समिति ने शांत करने में कामयाबी हासिल कर ली है, मगर दावा करना मुश्किल है कि अब वास्तव में वहां सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है। कांग्रेस समिति ने दावा किया है कि पंजाब कांग्रेस एकजुट होकर अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी। मगर जिस तरह अमरिंदर सिंह को पिछले कुछ दिनों में दो बार दिल्ली तलब किया गया और इस बार जब वे केंद्रीय कमान से मिलने पहुंचे, तो न राहुल गांधी ने उन्हें मिलने का वक्त दिया और न ही सोनिया गांधी ने, उससे साफ है कि केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे संतुष्ट नहीं है। राहुल गांधी ने असंतुष्ट नेताओं से अलग-अलग बात की। फिर वे वापस लौट गए। मगर पंजाब कांग्रेस में सतह के नीचे उथल-पुथल अभी शांत नहीं हुई है। पंजाब विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं और ऐसे समय में पार्टी के भीतर असंतोष उसके लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। पहले ही अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिला कर कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में अगर कांग्रेस कार्यकर्ता और नेताओं में असंतोष बना रहता है, तो उसकी मुश्किलें बढ़ेंगी ही।