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हमारी संस्कृति और धर्म हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देतें हैं और वर्ष भर आने वाले त्योहार हमें उल्लसित होने का मौका देते हैं
हमारी संस्कृति और धर्म हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देतें हैं और वर्ष भर आने वाले त्योहार हमें उल्लसित होने का मौका देते हैं. माघ मास की पंचमी को होने वाला त्योहार वसंत पंचमी दिव्यता का त्योहार है जो समस्त पृथ्वी को तृप्त और संतुष्ट रखता है. वर्ष के सभी महीनों में माघ मास का विशेष महत्व है. माघ-मास का प्रातःकालीन स्नान हमें हमारी पुरानी परम्पराओं के निकट ले जाता है और भारतीय संस्कृति के दर्शन कराता है.
श्वेताभ मां सरस्वती के अनुपम रूप की छटा और प्राकृतिक पीलाभ के अनुपम सौंदर्य से ओत-प्रोत मां धरती का आंचल समस्त संसार की हरियाली को अपने में समेटे वसंत पंचमी का त्योहार हमारी ऊर्जा, ज्योत्सना व आशाओं का त्योहार है. खेतों में दूर तक फैला हरा-भरा प्राकृतिक वातावरण माघ मास के सुखद दिनों को जीवन्त कर देता है, वसंत ऋतु सिर्फ एक ऋतु ही नहीं, खुशियों और उल्लास की सुखद अनुभूति है.
बुद्धि, चेतना, ज्ञान, विज्ञान और प्रकृति के सम्मिश्रण का योग है. स्वच्छ आकाश की चांदनी व धरती की हरीतिमा को प्रकट करती वसंत की ऋतु मनमोहक अहसास का परिचायक है. ठंड से कंपकंपाते जीवन को सुखद अनुकूल वातावरण का अनुभव कराती है. वसंत को ऋतुओं का राजा कहने का ही मतलब है समस्त ऋतुएं मनमोहक अंदाज में पूर्ण श्रृंगार के साथ पृथ्वी पर अवतरित होकर जनमानस के मन को तृप्त करती हैं.
खुशियों के पवित्र पल निकट ही महसूस होते हैं. हदय की प्रफुल्लता व मस्तिष्क की सजगता परिलक्षित होती है. वसंत आते ही सारी कायनात बसंती पीले रंग का अहसास करा देती है. पीले फूल, पीले वस्त्र यहां तक कि पीला ही भोजन, सात्विकता के रंग का पर्याय सरस, रंगीन हरी-भरी धरती मुस्कराती, खिलखिलाती सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं. सरसों के दानो की स्वर्णमयी आभा, आम के बौर के मुस्कराने, फूलों के खिलने और तितलियों के मंडराने का सुनहरा समय आ जाता है.
विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का अलौकिक रूप हर प्राणी को नतमस्तक कर देता है. पृथ्वी के मौन को सुरों में बदलने वाली मां सरस्वती का प्राकट्य सुप्त स्वरों को रस और ध्वनि देने हेतु ही हुआ है. वागेश्वरी, वीणावादिनी, सुरेश्वरी, संगीत की देवी अनेक नामों से पुकारी जाने वाली मां सरस्वती हमारी बुद्धि का आधार हैं. हंसवाहिनी मां हमारी वाणी की आवाज हैं, हमारे सुरों की पहचान हैं.
वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है, जो रिद्धि-सिद्धि देने वाली हैं. सद्बुद्धि, सद्ज्ञान प्रदान करने वाली मां सरस्वती का पूजन हम सभी को करना चाहिए, क्योंकि अज्ञान रुपी अंधकार को दूर करने वाली मां सरस्वती ही हमारे लिए ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है. शिशु हो, युवा हो अथवा वृद्ध ज्ञान की आवश्यकता सभी को होती है. वसंत का हमारे लिए संदेश है कि अज्ञान का प्रहर बीत गया है, ज्ञान के उजाले से मां हम सब की सबकी झोली शुभ आशीर्वादों से भर देंगी.
ऋग्वेद के अनुसार, मां सरस्वती हमारी चेतना, बुद्धि, प्रज्ञा और मनोवृत्ति की संरक्षिका हैं. हमारी वाणी, विद्या और बुद्धि का शुद्धिकरण मां सरस्वती की उपासना से ही है. मां सरस्वती की पूजा के लिए मां को पीली वस्तुएं श्रद्धा स्वरूप भेंट करनी चाहिए, जिसे दान का प्रतिरूप नहीं समझना चाहिए. वसंत पंचमी का आगमन वातावरण में इन्द्रधनुषी खूबसूरती को दर्शाने वाला होता है. ग्रीष्म, शीत, वर्षा का मिला-जुला संगम तन-मन को प्रसन्नता से भर देता है.
प्राकृतिक दृश्य लुभावने और अपने विचारों व स्वभाव के अनुकूल जान पड़ते हैं. वसंत पंचमी में घर और विद्यालयों में मंत्र मुग्ध कर देने वाले कार्यक्रम मनुष्यों के हदय के भावों को प्रकट करते हैं. बसंती हवाएं सुगन्धित हो वातावरण को महका देती हैं, सारा संसार एक अनूठी शोभा के आवरण में लिपटा हुआ सुसज्जित होता है. लोगों की कार्य शक्ति, कल्पना शक्ति, इच्छा शक्ति जाग्रत हो मन को एक नयी दिशा प्रदान करती है, नवीन वातावरण का निर्माण करती है.
धरती की हरियाली और सर्वत्र फूलों का खिलना ये दर्शाता है कि नील गगन और धरती पर रहने वाले सभी देवता, प्राणी, जीव-जन्तु सभी को उत्साहित करने की क्षमता वसंत में है. इसलिए, वसंत को मधु-माधव ओर सुवसंतक भी कहते हैं, भगवान विष्णु की और देवताओं को अपनी शोभा से परास्त करने वाले कामदेव भगवान की पूजा भी वसंत पंचमी के दिन की जाती है. सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतीक पीला रंग उल्लास और चेतना का द्योतक है जो प्राणियों में ऊर्जा और जाग्रति का संचार करता है. जड़ता को खत्म कर चैतन्य भाव को जन्म देता है.
गुनगुनाने का समय होता है, महसूस होता है, पृथ्वी पैरों में घुंघरू बांधे थिरकने को आतुर है और प्रकृति की इस आतुरता में हर कण प्रफुल्लित हो झूमने को व्याकुल हो जाता है. मन-मयूर अनेक राग-रागनियां छेड़ने को बेताब हो जाता हैं. विधाता की इस सृष्टि में सुर ताल का संगम दृष्टिगोचार होता है. विकारों के समापन का काल जान पड़ता है और सुशासन में प्रजा की सन्तुष्टि के भाव सा प्राकृतिक वातावरण शान्ति का अहसास कराकर उद्वेग को रोकता है.
विस्तृत नीले आकाश में टिमटिमाते तारों के समान धरती की छटा भी मन्त्र-मुग्ध कर देने वाली होती है. प्रातःकालीन सूर्य की रश्मियों का सौंदर्य चांदी के समान पारदर्शी होता है. इन्द्र धनुषी रंगो की छटा सबके लिए प्रेरणादायक होती है. आलस्य रहित होकर व्यक्ति की रचनात्मक प्रवृति जाग्रत हो नवीन विचारों के विकास की ओर अग्रसर होती हैं. होली रंगों का एक प्यारा सा त्योहार है, जिसके आने का सन्देश वसंत ही लेकर आता है.
वसंत के दिन होली के स्वागतार्थ पूजन भी किया जाता है. वसंत पंचमी का दिन शुभ अवसरों का भी दिन है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम को इस दिन बिना विचारे सम्पन्न किया जाता है. जीवन में वसंत ऋतु का त्योहार रंग-बिरंगे सपनों को पूरा करे. सुख, सम्पन्नता और हरियाली के साथ वासन्ती शोभा बिखेरते हुए यह त्योहार सबको खुशियों से सराबोर रखे और मां सरस्वती की कृपा का प्रसाद हम सभी को मिलता रहे, इसी आशा के साथ वसंत का शुभ स्वागत है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
रेखा गर्ग लेखक
समसामयिक विषयों पर लेखन. शिक्षा, साहित्य और सामाजिक मामलों में खास दिलचस्पी. कविता-कहानियां भी लिखती हैं.
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