सम्पादकीय

खेल भावना

Subhi
18 May 2022 5:19 AM GMT
खेल भावना
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हर खेल हमें जोड़ना सिखाता है, मगर आज देश के खेलों को लेकर हम बंटते जा रहे हैं। रविवार के दिन भारत ने पहली बार थामस कप अपने नाम किया। थामस कप को आम भाषा में बैडमिंटन का वर्ल्डकप कहा जाता है।

Written by जनसत्ता: हर खेल हमें जोड़ना सिखाता है, मगर आज देश के खेलों को लेकर हम बंटते जा रहे हैं। रविवार के दिन भारत ने पहली बार थामस कप अपने नाम किया। थामस कप को आम भाषा में बैडमिंटन का वर्ल्डकप कहा जाता है। इस ऐतिहासिक जीत के बाद भारत में एक वर्ग ऐसा भी था, जो बैडमिंटन की इस जीत को 1983 की विश्वकप जीत से बड़ी बता रहा था।

क्रिकेट से इतर भारत को दूसरे खेलों में अच्छा करता देख, क्रिकेट की आलोचना करना हमारी आदत बन चुकी है। ओलंपिक में पदक लाने के बाद हम उस खिलाड़ी की जीत से ज्यादा क्रिकेट का मजाक बनाते हैं। चाहे वह थामस कप की ऐतिहासिक जीत हो या ओलंपिक 2020 में हाकी में जीता गया ऐतिहासिक कांस्य। एक खेल को ऊंचा उठाने के चक्कर में हम दूसरे खेल को नीचा दिखाते हैं, जो कि खेलों के विकास के लिए कहीं से अच्छा नहीं है।

क्रिकेट की आलोचना कर के खुद को खेल प्रेमी बताने वालों को यह पता होना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट का भी अपना एक संघर्ष रहा है। 1968 की न्यूजीलैंड में जीत, 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में जीत, 1983 की विश्व कप जीत, 2007 की टी-20 वर्ल्डकप और 2011 के वन डे वर्ल्डकप, 2018-19 और 2020-21 में आस्ट्रेलिया में मिली जीत का अपना महत्त्व है।

हम दूसरे खेल को नीचा दिखाने के बजाय हर खेल को ऊपर लाने की बात क्यों नहीं करते? अगर भारतीय टीम हर खेल में चैम्पियन हो तो क्या यह भारतीय खेलों के लिहाज से अच्छा नहीं होगा? खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के बजाय अगर हम उसके खेल का मजाक बनाएंगे, तो भारत में खेलों का विकास नहीं हो सकता।

पिछले कुछ समय में अस्पतालों और निजी छोटे-बड़े भवनों में आग लगने की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। माल का नुकसान तो भरा जा सकता है, पर जान नहीं लौटाई जा सकती। अस्पतालों में फंसे गंभीर मरीज, जो उठ नहीं सकते, भाग नहीं सकते और न ही अपने आप को बचाने की कोशिश कर सकते हैं, उनके और उनके परिजनों के दर्द को बयान करना मुश्किल है।

आग की घटनाएं हर कहीं कोई न कोई गंभीर दुख छोड़ती ही हैं। यों तो आग बुझाने और उस पर तुरंत काबू पाने के प्रयास हमारे जांबाज करते ही हैं साथ ही उन्हें जनसहयोग भी मिलता है। फिर भी अगर व्यवस्था में और अधिक सुधार की गुंजाइश हो, तो उस पर विचार करना चाहिए। पुलिस और फायर ब्रिगेड दोनों में सामंजस्य होना चाहिए। सरकार को एक आपात नंबर जनसाधारण के लिए जारी कर देना चाहिए, जिस पर आपात स्थिति में संबंधित को तुरंत सूचित कर सके। आपात नंबर भी जनसाधारण में होने वाली घटना-दुर्घटना से शीघ्र राहत दिला सकता है।


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