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ट्विंकल आडवाणी/ बिलासपुर।
हां मैं औरत हूं
सृष्टिकर्ता की श्रेष्ठ कृति हूं मै
हर घर की जरूरत हूं
हर पग रोशन करने वाली
कर्मों की शक्ति हूं मै।।1।।*
*हां मैं औरत हूं
बदल रही हूं खुद को
नहीं सहती ग़लत उसूलों को
देखती हूं ख्वाब हजार
मेहनत का चढ रही पहाड़।।*
*हां मैं औरत हूं
खुद की बनाई दुनिया को जीना चाहती हूं
शिक्षा, संस्कारों, संस्कृति के साथ उड़ना चाहती हूं
सहनशीलता ,शक्ति की मूरत हूं
संवारती हूं दो कूलों को
परिवार, समाज की जिम्मेदारी मुझपर, ना करो मुझपे कोई अत्याचार
सुखी रहेगा रे संसार
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