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- बोलती लाशें
गंगा में बड़ी संख्या में बहते शव किसी को भी झकझोर सकते हैं। हाल में उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक गंगा में ऐसे शव देखने को मिले। गाजियाबाद से लेकर कन्नौज, उन्नाव, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया जैसे जिलों से ये शव बहते आ रहे हैं। बिहार में भी कई जगहों से ऐसी खबरें हैं। जाहिर है, ये शव उन शहरी या ग्रामीण इलाकों से ही नदी किनारे ऊपर ही ऊपर दफनाए या बहाए गए होंगे जो गंगा किनारे पड़ते हैं। कफन में लिपटी लाशें अगर बह रही हों, किनारे लग रही हों, अधजली हों, क्षत-विक्षत हो चुकी हों, जानवर नोंच रहे हों, तो इससे ज्यादा वीभत्स क्या हो सकता है! शवों को इस तरह बहाने-दफनाने की घटनाएं मीडिया में आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसका संज्ञान लिया। उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार को नोटिस जारी किए। आयोग ने जो सवाल पूछे और चिंता जताई, वह तो ठीक है ही, लेकिन शवों की गरिमा और मानव अधिकारों का जो मुद्दा उठाया, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।