सम्पादकीय

स्पेस टूरिज्म : अरबपतियों का रोमांच

Subhi
21 Sep 2021 3:16 AM GMT
स्पेस टूरिज्म : अरबपतियों का रोमांच
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स्पेस एक्स के निजी विमान से कक्षा (आर्विट) के तीन दिन तक चक्कर लगाने के बाद चार अंतरिक्ष पर्यटक अपनी यात्रा सफलतापूर्वक कर फ्लोरिडा तट पर अटलांटिक महासागर में उतरे।

आदित्य नारायण चोपड़ा: स्पेस एक्स के निजी विमान से कक्षा (आर्विट) के तीन दिन तक चक्कर लगाने के बाद चार अंतरिक्ष पर्यटक अपनी यात्रा सफलतापूर्वक कर फ्लोरिडा तट पर अटलांटिक महासागर में उतरे। ऐसा पहला बार हुआ है कि जब कक्षा का चक्कर लगाने वाले अंतरिक्ष यान में मौजूद कोई भी व्यक्ति पेशेवर अंतरिक्ष यात्री नहीं था। ये अंतरिक्ष पर्यटक यह दिखाना चाहते थे कि आम लोग भी अंतरिक्ष जा सकते हैं और स्पेस एक्स के संस्थापक एलन मस्क ने उन्हें अंतरिक्ष में भेजा था। स्पेस एक्स मिशन कंट्रोल ने कहा है कि इस अभियान ने यह दिखाया कि अंतरिक्ष हम सभी के लिए है। इस मिशन में कैंसर से उबरी हेले आर्सीनाक्स, स्वीपस्टेक विजेता क्रिस और एरिजोना के एक सामुदायिक कालेज के शिक्षक सियान प्राक्टर शामिल थे। आर्सीनाक्स अंतरिक्ष में जाने वाली सबसे कम उम्र की अमेरिकी हैं जो किसी कृत्रिम अंग में जाने वाली पहली शख्स भी हैं। उनके बाएं पैर में टाइरेनियम की रॉड लगी हुई है। इस उड़ान का नेतृत्व 38 वर्षीय अरबपति जारेड इसाकमैन ने किया।इस तरह स्पेस एक्स ने इतिहास रच दिया है। अंतरिक्ष को पर्यटन के लिए इस्तेमाल करने का पहला विरोध करने वाला नासा अब ऐसी निजी उड़ानों का समर्थन कर रहा है। मानव अंतरिक्ष के प्रति काफी जिज्ञासु रहा है। अंतरिक्ष में सैर करने की इंसान की चाहत बहुत पुरानी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लम्बे समय से अंतरिक्ष पर्यटकों की मेजबानी करने में संकोच करता रहा है, इसलिए रूस ने 1990 और 2000 के दशक में शीत युद्ध के बाद धन के स्रोतों की तलाश में कई दौलतमंद लोगों को पैसे की एवज में अंतरिक्ष की सैर कराई थी।वर्जिन गेलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन और कंपनी के पांच क्रू मैम्बरों ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी, इस कमर्शियल फ्लाइट में भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सि​रीशा बांदला भी थी जो कंपनी में सरकारी मामलों और अनुसंधान कार्यों की उपाध्यक्ष हैं। अंतरिक्ष की सैर करने के लिए दो दिग्गज अरबपतियों में होड़ लगी हुई है जैसे उनके लिए पृथ्वी पर जमीन कम पड़ गई है। अमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी लेकिन उन्हें चुनौती मिली दूसरे अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन से। प्राइवेट स्पेस एजेंसी वर्जिन गेलेक्टिक के संस्थापक ब्रैनसन बेजोस से 9 दिन पहले ही अंतरिक्ष की सैर कर आए। उसके साथ ही एलन मस्क भी इस होड़ में शामिल हो गए। अरबपति बेजोस के साथ अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले व्यक्ति ने 28 मिलियन डॉलर (लगभग 205 करोड़ रुपए) देकर नीलामी की सीट खरीदी थी। चार मिनट के भीतर ही बोलियां 150 करोड़ के पार चली गई थीं। अब क्योंकि इनकी उड़ानें सफल रही हैं, इसलिए अब स्पेस टूरिज्म में भी होड़ मचने की संभावना है।संपादकीय :चन्नीः एक तीर से कई शिकारबंगाल में तृणमूल और भाजपागुलामी के समय की न्याय व्यवस्थाजन्मदिन हो तो ऐसापंजाब में कैप्टन का इस्तीफा !कट्टरपंथ : खेमों में बंटी दुनियाअंतरिक्ष में यात्रा करने का गौरव हासिल करने के लिए रोमांच प्रिय अरबपति लाखों डॉलर खर्च करने में कोई गुरेज नहीं करते। यह तो अमीरों के लिए एक ​वैश्विक स्टेट्स सिम्बल हासिल करने जैसा है। अब सवाल यह खड़ा हो चुका है कि क्या स्पेस टूरिज्म अरबपतियों का शगल बनकर रह जाएगा। क्या स्पेस टूरिज्म भी अरबपतियों का बड़ा व्यापार बन जाएगा ? इसमें कोई संदेह नहीं कि इससे अंतरिक्ष का परिदृश्य तो बदल ही जाएगा। निजी स्पेस कंपनियों के उदय से अमीर लोगों को अंतरिक्ष का अनुभव कराना आसान हो जाएगा। स्पेस टूरिज्म को लेकर भी काफी मतभेद है। पर्यावरण विशेषज्ञ और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े लोगों का कहना है कि खरबपतियों की स्पेस कंपनियां विज्ञान को आगे बढ़ाने पर मानवता की सीमा का विस्तार या उनका कल्याण करने के लिए धन नहीं खर्च कर रहे बल्कि वह अपना धन एक ऐसी प्रणाली पर खर्च कर रहे हैं जो अंतरिक्ष में भी जलवायु को तबाह कर देगा। कंपनियां जलवायु परिवर्तन की वास्तविक समस्या को नजरंदाज कर रही हैं। अंतरिक्ष यात्रा का मकसद अमीरों को रिझा कर कमाई करना है। अब तक ज्ञात ​ब्रह्मांड में केवल हमारी धरती पर ही जीवन है। आज हमने सुविधापूर्वक और सुरक्षित जीवन जीने की प्रौद्योगिकी हासिल कर ली है मगर दुनिया सामाजिक और पर्यावरणीय दौर में उथल-पुथल के दौर में है। अंतरि​क्ष भले ही इंसान के सपनों को नई मंजिल दे लेकिन मानवजाति जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का विनाश, परमाणु युद्ध की आशंकाओं से घिर चुकी है। अंतरिक्ष यात्रा सरकारों के कब्जे से धीरे-धीरे बाहर हो जाएगी और निजी कंपनियां सक्रिय होंगी और नासा को भी निजी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

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