सम्पादकीय

मंगल से ध्वनियां धरती पर

Gulabi Jagat
15 March 2021 3:15 PM GMT
मंगल से ध्वनियां धरती पर
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तब वैज्ञानिकों को शोध-चिंतन का एक ऐसा विषय मिल गया है

जब मंगल से ध्वनियां धरती पर पहुंचने लगी हैं, तब वैज्ञानिकों को शोध-चिंतन का एक ऐसा विषय मिल गया है, जो रहस्य और रोमांच से सराबोर है। मंगल से आ रही ध्वनियों की प्रारंभिक विवेचनाएं सामने आने लगी हैं। ऐसा लगता है, मंगल पर 18 फरवरी को उतरा नेशनल एरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) का रोवर निरंतर फोटो और ध्वनियां रिकॉर्ड कर धरती पर भेज रहा है। नासा ने मंगल से आ रही दो तरह की आवाजों को अभी तक जारी किया है। एक तो मंगल पर चलती हवा की आवाज है, दूसरी, लेजर प्रभाव की ध्वनि है। दुनिया में आम लोगों के लिए लेजर की ध्वनि का बहुत आकर्षण नहीं है। लेजर की जो ध्वनि आई है, उसमें इलेक्ट्रॉनिक की आवाज हावी है। यह ऐसी आवाज है, मानो किसी वीराने में फिल्म का प्रोजेक्टर चल रहा हो। मंगल पर लेजर शॉट्स की ध्वनि निरंतर स्नैप या फोटो खींचने से होने वाली ध्वनि की तरह लगती है। विवेचना जारी है और ऐसा लगता है कि महत्व लेजर ध्वनि का नहीं, बल्कि उसकी गूंज व असर का है।

अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यह छह पहियों वाला रोबोट डिवाइस अर्थात रोवर लगभग सात महीने की यात्रा पूरी करने के बाद अपना काम शानदार ढंग से करने लगा है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि पृथ्वी से 47 करोड़ किलोमीटर दूर से आवाजें आने लगी हैं। नासा के साउंडक्लाउड पर पोस्ट की गई ऑडियो क्लिप में यह बताने की कोशिश हुई है कि मंगल पर मौसम कैसा है। मंगल से जो सामान्य आवाज आई है, वह ज्यादा ध्यान आकर्षित कर रही है। गहरे और बीच समुद्र में उठती ऊंची लहरों की सतत आवाज। समुद्र के तट पर आवाज उठती-बैठती रहती है, लेकिन मंगल से आ रही आवाज में ज्यादातर उठने का शोर है। यह हवा की आवाज है, जिसकी पड़ताल आने वाले दिनों में और स्पष्ट हो सकेगी।
हालांकि, यह ध्वनि सुनने के बाद कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने लिखा है कि उन्हें डरावनी फिल्मों की याद आ रही है। वैसे मंगल अर्थात लाल ग्रह की आवाज और पृथ्वी की आवाज में जो प्राथमिक अंतर दर्ज किया गया है, उसके अनुसार, पृथ्वी की सामान्य आवाज मंगल पर फुसफुसाहट से प्रभावित हो जाती है। मंगल पर आवाज में फैलाव दिखता है। घंटी की ध्वनि भी वहां फैल जाती है और गूंजती सी लगती है।
यह दिलचस्प है कि वैज्ञानिक पृथ्वी की अलग-अलग आवाजों का मंगलीकरण करने में जुटे हैं। नासा ने यह भी साझा किया कि मंगल ग्रह पर पक्षियों के चहकने, घंटियां या सीटी बजने जैसी आम आवाज पृथ्वी पर कैसी सुनाई देगी। आम तौर पर अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह की ध्वनि उत्पन्न होती है, जैसे समुद्र के पास की बुनियादी आवाज और पहाड़ों के पास की आवाज में थोड़ा अंतर होता है। यह जानना विशेष रूप से जरूरी है कि किसी ध्वनि को किस जगह रिकॉर्ड किया जा रहा है। अत: रोवर से मिल रहे फोटो, वीडियो और ध्वनियों को एक साथ रखकर ही वैज्ञानिकों को ठोस विवेचना करनी पड़ेगी। यह भी ध्यान में रखना पड़ेगा कि नासा का यह कामयाब रोवर मंगल पर एक सीमित इलाके में ही घूमने में सक्षम है। हो सकता है, मंगल के दूसरे इलाकों में स्थितियां अलग हों और ध्वनियां भी। मतलब, इन प्राप्त ध्वनियों से इतर भी मंगल पर ध्वनियां संभव हैं। अभी तो यह शुरुआत भर है।


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