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सरकार ने गेहूं आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिए निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गेहूं या मेस्लिन आटे पर निर्यात प्रतिबंध/रोक से छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिल जाएगी, जिससे आटे की बढ़ती कीमतों पर रोक लगना सुनिश्चित होगा और समाज के सबसे कमजोर तबकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
इससे पहले देश के 1.4 अरब लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई माह में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से कहा गया था कि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले निर्यात की खेप के लिए जारी हो चुके अपरिवर्तनीय साख पत्र (एलओसी) पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने भारत से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के अपने फैसले को लेकर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि ऐसा करके देश अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत की ओर से कहा गया था कि देश पड़ोसी एवं कमजोर मुल्कों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। दरअसल रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं, जिनकी कुल वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी है।
उनके बीच संघर्ष के कारण वैश्विक गेहूं आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। इसके कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं के आटे की बढ़ती मांग के कारण घरेलू बाजार में आटे की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। भारत से आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 प्रतिशत बढ़ा है।
इससे पहले की नीति यह थी कि गेहूं के आटे के निर्यात पर कोई रोक या प्रतिबंध नहीं लगाया जाए। इसलिए, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध/रोक संबंधी छूट को वापस लेने की नीति में आंशिक संशोधन की आवश्यकता थी। सरकार द्वारा निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध सही समय में लिया गया उचित निर्णय है। इससे पता चलता है कि सरकार का ध्यान खाद्य सुरक्षा और किफायती खाद्यान्न सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। सरकार के इस निर्णय से आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा और समाज के सबसे कमजोर तबके के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
सोर्स:अमृत विचार
Gulabi Jagat
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