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- कुछ अमृत वचन और कुछ...
सुधीश पचौरी: सप्ताह का पहला अमृत वचन: उसको बराबर मार देते… को हम मार देते… बराबर मार देते… दूसरा अमृत वचन: वो सर तन से जुदा के नारे नहीं लगा रहे थे, वो तो कानूनी सजा की मांग कर रहे थे!
तीसरा अमृत वचन: कल को दूसरा समुदाय भी ऐसे ही नारे लगाने लगे तो क्या होगा… बहरहाल,'टिकटाक' सेलीब्रिटी सोनाली फोगाट की मृत्यु ने बड़ी कहानी बनाई। शुरू में सोनाली को 'हार्ट अटैक' से मरा बताया गया। 'पोस्टमार्टम' ने उसे हत्या बताया। चैनल उसके नाचने-मटकने को दिखाते रहते। कई दिन बाद मामला सीबीआइ को दिया गया!
इसके बाद फिर कुछ 'अमृत वचन' बरसे। एक कांग्रेस-परस्त मोहतरमा अपने हैदराबादी लहजे में राजा सिंह के खिलाफ बेहद गुस्से से बोलती दिखीं: टांग पर टांग डालके चीर दूंगी, … का बच्चा तेरी जुबान खींच लूंगी, तू दिखेगा तेरा ऐसा हश्र करूंगी कि तेरे कूं तेरे घर वाले भी न पहचान पाएं…
फिर एक और अमृत वचन आया: 'सर तन से जुदा' सिर्फ एक नारा है। यह किसी को नहीं उकसाता। 'गोली मारो… को' उकसाता था। लोग इस नारे को दिल की भड़ास निकालने के लिए लगाते हैं।
फिर चैनल नोएडा के दो टावरों की ध्वंस-कथा पर आ गए और सभी चैनलों के कैमरामैन और रिपोर्टर पास की 'मल्टी स्टोरी' की छतों पर खड़े होकर दोनों टावरों को नौ से बारह सेकेंड में किस तरह से 'डायनामाइट' से गिराया जाएगा, किस तरह से मलबा दूर तक नहीं जाएगा और धूल धक्कड़ को नियंत्रित करने के लिए पानी के फव्वारे लगाए गए हैं आदि बताया जाता रहा।
फिर उलटी गिनती शुरू हुई और फिर दोनों टावर 'बूम बूम' होकर अपने पैरों पर गिर पड़े। गर्द-गुबार उठा और कुछ बाद सब शांत हो गया। जिन्होंने टावरों को गिराने का मुकदमा किया, वे ताली मारते दिखे, जिनके पैसे डूबे वे मायूस दिखे।
'ईमानदारी के चौकीदार' चैनलों ने भी इन टावरों को 'भ्रष्टाचार के टावर' बना दिया, मानो देश में बाकी सारी इमारतें सौ फीसद कानून सम्मत हों!
फिर एक दिन मुरादाबाद के एक गांव से एक 'हेट-कथा' उभरी कि घर के बाहर नमाज पढ़ने पर ऐतराज किया गया। गांव वाले कहे कि ये आज नमाज पढ़ेंगे, कल मस्जिद बनेगी, जबकि इस गांव में न मंदिर है न मस्जिद! ओवैसी तुरंत बोले कि क्या हमें नमाज पढ़ने का हक नहीं?
फिर एक 'लव जिहाद' टाइप कहानी झारखंड के दुमका से आई, जिसमें एक हिंदू लड़की को एक मुसलिम युवक ने उसके कमरे में पेट्रोल डाल कर जला दिया। तीन-चार दिन बाद उसकी मुत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले वह अपराधी को नामजद कर गई। उधर आरोपित युवक पुलिस की गिरफ्तारी में भी हंसते हुए जाता दिखता रहा।
फिर झारखंड के एक गांव से कहानी आई कि एक मैदान पर ईदगाह का दावा करते हुए एक समुदाय ने बुलडोजर चला कर एक मंदिर तोड़ दिया। इस पर एक हिंदू चर्चक कहिन कि अपने ही देश में हिंदू मंदिर को जगह नहीं!
फिर कर्नाटक के चामराज पेट के एक 'पब्लिक मैदान' में गणेश पूजा की इजाजत न मिलने की बड़ी खबर बनाई। मुसलिम की नजर मैदान 'ईदगाह' रहा, तो दूसरे कहते रहे कि यह सरकारी मैदान है, सबके लिए खुला है। यहां गणेश पूजा होती रही है। फिर कोर्ट ने सामाजिक सौहार्द के हित में सभी वर्गों के लिए मना कर दिया।
बहसों में कई चेहरे खिले नजर आए, कई चेहरे मुरझाए नजर! फिर एक दिन जैसे ही यूपी के निजी मदरसों के सरकारी सर्वे की खबर टूटी वैसे ही ओवैसी ने कई चैनलों पर इस सर्वे को 'छोटा एनआरसी' करार दिया, जबकि यूपी के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री दानिश ने कहा कि सर्वे से आंकड़ा मिलेगा, ताकि इनका आधुनिकीकरण किया जा सके, इससे मुसलिम समाज को फायदा होगा!
इन दिनों ओवैसी एकमात्र विपक्षी नेता की तरह बोलते दिखते हैं! मगर कर्नाटक के मुरुगा मठ के सबसे बड़े बाबा पर 'पोक्सो एक्ट' के बावजूद उन्हें छह दिन तक न पकड़ा जा सका, क्योंकि वे एक खास समुदाय के पूज्य हैं। वह समुदाय सौ सीटों पर निर्णायक है, इसलिए भाजपा-कांग्रेस दोनों बाबा पर किंतु-परंतु करते रहे! वोट की राजनीति दलों से कैसे-कैसे पाप नहीं कराती!
इसी बीच एक दिन गुलाम नबी आजाद ने दिल का दर्द बयान किया कि राहुल में बचपना है… उनके चौकीदार फैसला लेते हैं… सोनिया जी से मिलना आसान है, राहुल से नहीं… फिर उन्होंने जयराम रमेश के 'गुलाम मोडीफाईड' ट्वीट को आड़े हाथों लिया कि ये आदमी कौन है… कांग्रेस की किस ब्लाक कमेटी से है… ये तो 'स्टोरी प्लांटर' है… मोदी में इंसानियत तो है… मैं अपनी पार्टी शुरू करूंगा…
क्रेडिट : जनसत्ता