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- वाद-विवाद में समाधान...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हाल में नए संसद भवन की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ कहना और कुछ सुनना हमारे लोकतंत्र का प्राण है। वास्तव में किसी भी परिस्थिति में दूसरे पक्ष से संवाद बनाए रखने की हमारी यह परंपरा हर समस्या के समाधान का अचूक हथियार रही है। देखा जाए तो समस्या समाधान की कुशलता किसी भी व्यक्ति, समूह या राष्ट्र की प्रगति का सबसे महत्वपूर्ण संबल बनती है। जिन जीवन कौशलों को सिखाने का प्रयास परिवार, समाज और शिक्षा करते हैं, उसमें इसके महत्व को सदा स्वीकारा जाता रहा है। स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा संस्थान समस्या समाधान की कुशलता को बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के आयोजन करते रहते हैं। इसमें देश-विदेश के इतिहास पुरुषों के विचारों और योगदान का अध्ययन करना, उसकी विवेचना करना और उनकी समसामयिक संदर्भिता का अध्ययन आवश्यक माना जाता है। दरअसल विभिन्न विचारधाराओं के श्रेष्ठ व्यक्तियों को आमंत्रित करना, उनके विचारों को सुनना, प्रश्न पूछना और तदुपरांत स्वाध्याय तथा मनन-चिंतन से उन्हेंं गहराई तक समझने का प्रयास करना व्यक्तित्व विकास का आवश्यक अंग बन जाता है। ऐसे सारे प्रयासों से सहमति के स्वर प्रस्फुटित होते हैं, विरोधी विचारों का सम्मान करना सीखा जाता है। यही आगे चलकर जीवन को सार्थक बनाने में सहायक होते हैं।