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सोमपाल शास्त्री। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को एक साल हो गए। इस एक वर्ष में किसान आंदोलन ने काफी कुछ देखा। सुखद है कि तमाम दुश्वारियों के बावजूद यह अब एक सफल आंदोलन में शुमार हो गया है। आजादी के बाद भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सभवत: यह एकमात्र ऐसा आंदोलन है, जो इतना लंबा चला और जिसने सफलता हासिल की। निस्संदेह, इसमें मूलत: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की ही प्रत्यक्ष भागीदारी रही, लेकिन अपने देश का इतिहास भी यही है कि किसानों के आंदोलन प्राय: इन्हीं इलाकों तक सीमित रहे हैं। अरसा पहले सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में और शरद जोशी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में कुछ सकारात्मक काम जरूर हुआ था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद किसान आंदोलन हमेशा उत्तर भारत के इन्हीं क्षेत्रों तक सीमित रहे हैं। दक्षिण के किसानों से इसकी भौतिक दूरी रही, लेकिन मानसिक रूप से देश भर के किसान इसके साथ थे, और सभी इसमें अपना हित देख रहे हैं।