- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- सामाजिक आईने की...

सामाजिक आईने की दुरुस्ती में राज्य सरकार के सरोकार पुनः धर्मशाला में आकर खिलखिला उठे, तो बाहें फैलाए विभिन्न कल्याण बोर्डों की आरजू में तसदीक होता मकसद भी गुनगुना देता है। एक ही दिन में तीन बैठकों का आलम यह रहा कि कई सीढि़यां उभर आती हैं। पिछड़ा वर्ग हो या गद्दी-गुजर समुदाय की बेडि़यांे का मसला, वार्षिक बैठकों के आलम में कई आधारभूत जरूरतांे की आपूर्ति का यह मंजर खुशनुमा हो जाता है, लेकिन इस सफर की कहानी आखिर भेड़चाल क्यों चलती है। समाज के आर्थिक आईने में कई सुराख हो सकते हैं, लेकिन आरक्षित वर्ग की सामाजिक सुरक्षा में हिमाचल के आदर्श रंग ला रहे हैं। समाज के भीतर तरक्की के अक्स किसी जाति या वर्ग के भेद में विभक्त नहीं हैं, फिर भी राजनीतिक शक्ति में बेहतर प्रदर्शन की जरूरत है। आरक्षण अधिकार की ताजपोशी में बैठकों के दौर ऐसी कंदराओं को खोज पाते हैं, जहां खुशहाली की खबर के लिए नए इंतजाम चाहिएं। मसलन ओबीसी प्रमाण पत्र की कसरतों को सरल व सहज बनाने के साथ इसकी समयावधि को तीन साल करने की पेशकश अगर पूरी होती है, तो यह सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
divyahimachal
