सम्पादकीय

ताकि गुलजार हो बाजार

Triveni
14 Oct 2020 4:41 AM GMT
ताकि गुलजार हो बाजार
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कोरोना संकट से हलकान अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाकर आर्थिकी को गति देने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों को जो तोहफे केंद्र सरकार ने दिये हैं, वे उम्मीद जगाने वाले हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना संकट से हलकान अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाकर आर्थिकी को गति देने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों को जो तोहफे केंद्र सरकार ने दिये हैं, वे उम्मीद जगाने वाले हैं। केंद्रीय कर्मचारियों को लीव ट्रैवल कन्सेशन यानी एलटीसी के एवज में कैश वाउचर और त्योहारों के लिए दस हजार रुपये एडवांस देने की घोषणा सरकार ने की है। हालांकि, ऐसे वक्त में जब कोरोना संकट के चलते लोग बचत पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं, कर्मचारियों की जेब में आया पैसा 31 मार्च से पहले खर्च करना भी जरूरी होगा। साथ ही यह खर्च बारह फीसदी जीएसटी वाले उत्पादों के लिए आॅनलाइन करना होगा। एडवांस की राशि अगले वित्तीय वर्ष में बिना ब्याज के दस किस्तों में वापस करनी होगी। जैसे कि दुनिया के जाने-माने अर्थशास्त्री कह रहे थे कि मांग और खर्च बढ़ाने के लिये लोगों की जेब में पैसा डाला जाये। सरकार ने पैसा भी डाला है और उसके खर्च का भी इंतजाम साथ ही कर दिया है। निश्चय ही सरकार ने चरमराती अर्थव्यवस्था में प्राणवायु संचार करने की कोशिश की है। बाजार में करीब एक लाख करोड़ अतिरिक्त मांग बढ़ने से आर्थिकी को गति मिलने की उम्मीद की जा रही है। सरकार ने ऐसा समय चुना है जब लोग त्योहारों में खूब खर्च करते हैं। हालांकि, देश में अनलॉक की प्रक्रिया के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार आया है लेकिन देशी-विदेशी रेटिंग संस्थाओं द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पेश आकलन से सरकार की चिंताएं बढ़ी हैं। जाहिरा तौर पर बाजार में मांग बढ़ाए बिना अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारना असंभव है। सरकार इसी तरफ बढ़ी है कि लोगों को कोरोना के भय से मुक्त करके खर्च करने के लिये प्रेरित किया जाये। सरकार को पता है कि कोरोना का भय अभी खत्म नहीं हुआ है, उन्हें बाजार तक लाने के लिये अतिरिक्त उपाय करने जरूरी हैं। सरकार की कोशिश हो कि केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा भी अन्य वर्गों की क्रय शक्ति बढ़ाई जाये।


अर्थशास्त्री कहते रहे हैं कि समाज के गरीब तबके की जेब में कुछ पैसे डालने से अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति सुधरेगी। इसके अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल देने की भी बात की जाती रही है, जिसने कोरोना संकट के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया। इसी के मद्देनजर केंद्र ने मनरेगा का बजट भी बढ़ाया, जो प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने में सहायक साबित हुआ। दरअसल, सरकार ने इस सर्वविदित तथ्य को अपने हालिया कदम का आधार बनाया कि आने वाले त्योहार हमारी आर्थिकी को गति दे सकते हैं। सरकार के इस कदम से न केवल केंद्रीय कर्मचारी बल्कि बड़े उद्यमी, व्यापारी व दुकानदार भी प्रसन्न होंगे, जो कोरोना संकट के चलते मंदी से जूझ रहे थे। बहरहाल, कोरोना संकट के दौरान मध्यवर्ग केंद्र सरकार से राहत की प्रतीक्षा करता रहा है, यह राहत केंद्रीय कर्मचारियों के लिये तो है, मगर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी राहत देने का प्रयास करना चाहिए, जिनका रोजगार संकटग्रस्त है। वैसे सरकार की इस योजना का लाभ सरकारी कंपनियों और बैंक कर्मियों को भी मिलने की बात की जा रही है। दरअसल, सरकार ने एक तीर से कई शिकार किये हैं। एक तो कर्मचारियों को खुश किया है, वहीं उन्हें सिर्फ बड़ी उपभोक्ता वस्तुएं खरीदने के लिये प्रेरित किया है, डिजिटल पेमेंट को प्रमोट करने के लिये ऑनलाइन खरीद की अनिवार्यता लागू की है, इसी वित्तीय वर्ष में खरीद की शर्त भी लगायी है। साथ ही यदि एलटीसी के किराये का तीन गुना खर्च किया जायेगा तो ही इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। यानी सरकार ने जितना जेब में डाला है उससे अधिक खर्च का प्रबंध भी कर दिया है। अर्थशास्त्री और विपक्षी नेता भी लॉकडाउन के बाद से कह रहे थे कि सरकार को लोगों की जेब में सीधा पैसा डालना चाहिए। उसे खर्च करने के लिये भी प्रेरित किया जाना चाहिए। सरकार ने लोगों को बताया है कि जितना खर्च ज्यादा होगा, उतना लाभ अधिक होगा। सरकार को समाज के दूसरे वर्गों को भी सीधा लाभ पहुंचाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

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