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- तो 21 टकराव का!
हां, 26 जनवरी से 29 जनवरी 2021 के दिन इन पंक्तियों के लिखने तक का घटनाक्रम प्रमाण है कि भारत में सन् 2021 में देशभक्तों बनाम देशद्रोहियो-पाकिस्तानियों की पानीपत की लड़ाई नए आयाम पाएगी। देश के किसानों में खालिस्तानी गैंग का नैरेटिव बना कर सिख बनाम जाट का भेद बना कर पंजाब के किसानों को अलग-थलग करने का मंसूबा सिरे नहीं चढ़ा है। रोते हुए राकेश टिकैत के वीडियों से जाटों में, अजितसिंह-जयंत चौधरी जैसे नेताओं में जो रिएक्शन हुआ है और राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करते हुए पूरा विपक्ष किसान आंदोलन के साथ जैसे खड़ा हुआ है वह संसद सत्र में अनिवार्यतः टकराव बनवाएगा। हल्की संभावना थी कि सरकार शायद अपनी तह संसद में कृषि कानून खत्म करने या स्थगित करने का प्रस्ताव ला कर किसानों को आंदोलन खत्म करने का मौका दे। मगर48 घंटो में जिस अंदाज में सरकार का व्यवहार रहा, सरकार ने मीडिया में जो हल्ला बनवाया तो जाहिर है कि मोदी सरकार का फैसला दो टूक है। वह किसान आंदोलन को वैसे ही कुचलेगी जैसे हार्दिक पटेल के पटेल आंदोलन को कुचला था। शाहिन बाग आंदोलन को कुचला था।