सम्पादकीय

पानी पर गोष्ठी में बर्फ

Rani Sahu
22 April 2023 5:04 PM GMT
पानी पर गोष्ठी में बर्फ
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नगर परिषद के चुनाव घोषित हो गए। पिछले तीन साल से सोई हुई लेकिन जागरूक एनजीओ को लगा, पानी के मुद्दे पर लोगों को अभी से जागरूक करना शुरू करना चाहिए। उन्होंने निश्चय किया कि इस विषय पर पब्लिक गोष्ठी कर लेते हैं। सिर्फ बातें चखने के लिए आजकल कोई नहीं आता, इसलिए एक ‘पैक्ड वाटर कम्पनी’ के सौजन्य से समोसे, पैटी, केक समेत नाश्ता व पॉलीगिलास में चाय कॉफी का प्रबंध हुआ। गोष्ठी में जो विचार काफी उभर कर आए आपको भी पढऩे का मौका दिया जा रहा है, उम्मीद है बढ़ रही गर्मी में ठंडक का कुछ एहसास ज़रूर होगा। गोष्ठी में शहर के कर्णधार नेताओं व अनेताओं के अलावा अन्य भी घुस आए थे जिन्हें पता था ऐसी गोष्ठियों से कुछ हो न हो, पेटपूजा ज़रूर हो जाती है। नेताजी भाषण न दें, हो नहीं सकता। उन्होंने दिमाग से कहा, ‘मुझे फिर से अपने शहर की चिंता आन पड़ी है। बर्फ का गिरना न गिरना, परम पिता परमात्मा की स्वेच्छा पर आधारित है।
यह जो गर्मी पहाड़ों पर आ रही है, ग्लोबल टैम्परेचर की वजह से है। हम पहले भी आश्वासन दे चुके हैं कि अगली सरकार बनाने के बाद कुछ ठोस करेंगे। संकट का मुकाबला आपके साथ मिलकर जी जान से करेंगे।’ गोष्ठी में कुछ जागरूक नौजवान भी थे जो क्षेत्र में पर्यावरण बिगाडऩे के जि़म्मेदार लोगों का कच्चा चिठ्ठा खोलने वाले थे, उन्हें राजनेता के समझदार प्रतिनिधियों ने आंख व हाथ पांव मारकर चुप करा दिया। नेताजी बोले, ‘हमने कुछ वर्ष पूर्व विदेश यात्रा कर प्रेरणा ग्रहण की थी। जैसे उन्होंने नकली बारिश करवाई और सूखे से लडऩे के लिए नकली बर्फ का उत्पादन किया, चिंता न करें हम भी बारिश बरसाने व बर्फ गिराने का भी इंतजाम वैसा ही करेंगे। एक जुनूनी पत्रकार बोला, ‘क्या हमें अपनी गलतियों से नहीं सीखना चाहिए।’ नेताजी ने मुस्कुराकर कहा, ‘अब हम विश्वगुरु हैं। मशीन से जब बारिश या बर्फ गिरेगी तो आनंद प्राप्त होगा। जैसे हम नकली चीज़ों से असली मज़ा ले रहे हैं। ऊपरवाला तो मिट्टी भरा, भूरा या कैमिकल युक्त काला पानी बरसाता है, हम सुगंधित बारिश करवा देंगे। भगवान सिर्फ सफेद बर्फ ही देता है, हम पीली, हरी, गुलाबी उपलब्ध करवा देंगे। ज्यादा मज़े के लिए, भुगतान कर, मनचाहे परफ्यूम की खुशबू से लबरेज़ बर्फ भी मिलेगी। पानी की कमी नहीं होगी, समुद्र भरे पड़े हैं, एमएनसीज़ तैयार बैठी हैं। मेरे इशारे की देर है, पूरे देश में पानी के पैक हर साइज़ में उपलब्ध होंगे। पीने के लिए ब्रांडेड पानी है ही। आम लोगों के नहाने के लिए बड़े पैक सरकारी डिपो पर भी मिलेंगे। इस बहाने नए व्यवसाय खड़े होंगे व नौकरी के नए अवसर बरसेंगे। पर्यावरण प्रेमी पानी के लिए ऐसे ही हायतौबा मचाते रहते हैं, हालांकि वे भी अपनी मीटिंग्स में बोतलबंद पानी ही पीते हैं।’ एक बुज़ुर्ग ने पूछा, ‘कुदरती तरीके से पानी ज़्यादा मिलने लगे, आप इसके लिए संजीदा कोशिश क्यों नहीं करते।’ जवाब, गर्मी के मौसम में तैयार फसल पर ओलों की तरह बिछा मिला, ‘पिछली बार आपने हमें विपक्ष बनाया, इस बार पक्ष बना दो, तब हम करेंगे। सरकार सब कुछ कर सकती है। पानी क्या चीज़ है।’ गोष्ठी सफल और सम्पन्न हो चुकी थी।
प्रभात कुमार
स्वतंत्र लेखक

By: divyahimachal

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