- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- छोटे दल लोकतंत्र के...

x
भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में सैकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे राजनीतिक दलों का होना कितना प्रसांगिक है, यह कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि छोटे-छोटे दलों के सीमित समर्थक होते हैं, दृष्टिकोण और दायरा सीमित होता है, जबकि राष्ट्रीय स्तर के बड़े दलों का दृष्टिकोण बड़ा होता है और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर को प्रभावित करता है। सबका विकास और खुशहाली के लिए एक दलीय या सीमित दलीय स्थिर सरकार की जरूरत होती है। हर देशवासी को देश हित के मद्देनजर छोटे दलों का समर्थन करने के बजाय सशक्त व मजबूत बड़े राष्ट्रीय दल का समर्थन करने की सोच बनाने में ही समझदारी होगी, पर ध्यान रहे कि लोकतंत्र की सलामती के लिए पाश्विक बहुमत यानी ब्रूट मैजोरिटी वाली सरकार न बने।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal
Next Story