सम्पादकीय

आसमानी आतंक: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा- आतंकी गतिविधियों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल को गंभीरता से लिया जाए

Triveni
30 Jun 2021 5:11 AM GMT
आसमानी आतंक: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा- आतंकी गतिविधियों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल को गंभीरता से लिया जाए
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यदि जम्मू में वायु सेना के एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी तो हैरानी नहीं।

भूपेंद्र सिंह| यदि जम्मू में वायु सेना के एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी तो हैरानी नहीं। इस हमले ने इसलिए दुनिया भर में चिंता पैदा की है, क्योंकि यह स्पष्ट हो रहा है कि आतंकी जो काम सीरिया और यमन में किया करते थे, वही भारत में भी करने में सक्षम हो गए हैं। इसका मतलब है कि एक के बाद एक आतंकी संगठन ड्रोन हमले की तकनीक हासिल करते जा रहे हैं। आने वाले दिनों में दुनिया के अन्य हिस्सों में सक्रिय आतंकी भी इस तकनीक से लैस हो सकते हैं, क्योंकि यह तकनीक कहीं अधिक सस्ती है और ड्रोन हमले करने के लिए कहीं कम जोखिम उठाना पड़ता है। शायद इसी कारण भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस पर जोर दिया कि सामरिक और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल को गंभीरता से लिया जाए। फिलहाल यह कहना कठिन है कि विश्व समुदाय हथियारबंद ड्रोन से लैस होते आतंकी संगठनों को लेकर कब चेतेगा, क्योंकि यह तकनीक कुछ ऐसे देशों के पास भी है, जो या तो आतंकी संगठनों के मददगार हैं या फिर बेहद गैर जिम्मेदार। इनमें प्रमुख हैं तुर्की और चीन। इसका अंदेशा है जिन ड्रोन से जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया, उन्हें चीन ने पाकिस्तान को मुहैया कराया हो और उसने उन्हें कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को सौंप दिया हो।

यदि भारत को यह संदेह है कि ड्रोन हमले के पीछे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों का हाथ है तो इसके अच्छे-भले कारण हैं। यह ठीक है कि ड्रोन हमले को आतंकी हमला मानकर मामले की जांच एनआइए को सौंप दी गई है, लेकिन इस हमले के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचना आसान काम नहीं, क्योंकि यह अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है कि विस्फोटकों से लैस ड्रोन कहां से आए थे-सीमा पार से या फिर सीमा के अंदर से? इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हमले के बाद भी आसपास के इलाके में ड्रोन मंडराते देखे गए। इसका मतलब है कि आतंकी यह मानकर चल रहे हैं कि सुरक्षा एजेंसियां उन तक नहीं पहुंच पाएंगी। उनके इस मुगालते को जितनी जल्दी संभव हो, दूर किया जाना चाहिए। इसी के साथ सुरक्षा एजेंसियों को खुद को ऐसी तकनीक से लैस करना होगा, जिससे ड्रोन की टोह ली जा सके, उन्हें मार गिराया जा सके और उन्हें भेजने वालों का पता लगाया जा सके। कायदे से हमारी सुरक्षा एजेंसियों को तभी चेत जाना चाहिए था, जब करीब दो वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन की गतिविधियां दिखनी शुरू हुई थीं।


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