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- अफगानिस्तान के हालात:...
भारत ने कंधार में अपने वाणिज्यिक दूतावास को जिस तरह अस्थायी तौर पर बंद करने और वहां के कर्मचारियों को निकालने का फैसला किया, उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान में अपनी बढ़त कायम करते जा रहे हैं। हालांकि, अफगान सेना तालिबान लड़ाकों को आगे बढ़ने से रोकने के हरसंभव जतन कर रही है, लेकिन अभी तक की स्थितियां यही बयान करती हैं कि वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रही है। यह किसी से छिपा नहीं कि तालिबान एक के बाद एक शहर अपने कब्जे में लेते चले जा रहे हैं। यदि वे इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो आने वाले दिनों में अफगानिस्तान के अन्य बड़े शहरों और राजधानी काबुल के लिए भी खतरा बन सकते हैं। यदि ऐसी स्थिति बनती है तो इसके लिए अमेरिका जिम्मेदार होगा, जिसने सब कुछ जानते-समझते हुए अपनी सेनाओं को वहां से वापस बुलाने का फैसला लिया। अमेरिकी प्रशासन को यह बताना चाहिए कि क्या उसके और तालिबान के बीच यही समझौता हुआ था कि अमेरिकी सेनाएं शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित किए बिना वहां से निकल आएंगी? अभी तो ऐसा लगता है कि उसने जानबूझकर तालिबान लड़ाकों को अफगानिस्तान पर कब्जा करने का मौका दे दिया।